बही-खाते के रूप में आया आम बजट अगर इस अनुमान के अनुकूल नहीं कि प्रबल बहुमत से सत्ता में लौटी मोदी सरकार बड़े आर्थिक सुधारों की राह पर अवश्य आगे बढ़ेगी तो इसके पीछे ऐसे ठोस कारण हैं जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती थी। सबसे बड़ा कारण देश-दुनिया के आर्थिक हालात हैं।

यदि भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती की चपेट में है तो विश्व अर्थव्यवस्था उथल-पुथल से ग्रस्त होने के साथ ही संरक्षणवाद से भी दो-चार है। चूंकि मौजूदा आर्थिक परिदृश्य मोदी सरकार को जोखिम लेने की इजाजत नहीं दे रहा था इसलिए उसने उससे बचते हुए आर्थिक सुधारों के साथ ही जरूरी सामाजिक सुधारों को गति देने की भरसक कोशिश की है।

देश की पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश आम बजट के प्रावधान यह रेखांकित कर रहे हैं कि मोदी सरकार इस वित्तीय वर्ष के साथ-साथ अपने शेष कार्यकाल के लिए भी एक खाका पेश करना चाह रही थी।

शायद इसीलिए बुनियादी ढांचे में अगले पांच साल में सौ लाख करोड़ रुपये खर्च करने का इरादा प्रकट किया गया है। यह एक बड़ी राशि है। इससे यह पता चलता है कि सरकार छलांग भी लगाना चाहती है और साथ ही अगले पांच वर्षों में देश को पांच लाख करोड़ डॉलर वाली अर्थव्यवस्था भी बनाना चाहती है। यह एक बड़ा लक्ष्य है, लेकिन देश की मौजूदा जरूरतों को देखते हुए यह समय की मांग थी कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कुछ बड़े लक्ष्य तय किए जाएं।

देश को पांच लाख करोड़ डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सालाना आठ प्रतिशत विकास दर की दरकार होगी। यह समय बताएगा कि मोदी सरकार विकास दर के इस आंकड़े को हासिल कर पाएगी या नहीं, लेकिन यह उल्लेखनीय है कि आम बजट के जरिये देश के समग्र विकास की चिंता करते हुए कुछ बुनियादी समस्याओं के समाधान का भी संकल्प लिया गया है।

यह अच्छा है कि हर घर को बिजली पहुंचाने और हर गांव को सड़क से जोड़ने के साथ जल संकट को दूर करने की चिंता सरकार की प्राथमिकता में है। चूंकि जल संकट दूर करने के अभियान को सफल बनाने के अलावा और कोई उपाय नहीं इसलिए यह ध्यान रखना होगा कि इसमें जितनी जरूरत जन भागीदारी की है उतनी ही सरकारी तंत्र के सहयोग की भी।

इसी क्रम में सरकार और साथ ही उसकी मशीनरी को इसके प्रति सतर्क रहना होगा कि विभिन्न क्षेत्रों में अपेक्षित खर्च के लिए वांछित धन की प्राप्ति वास्तव में हो। यह राहतकारी है कि आम बजट के माध्यम से सरकार ने यह प्रदर्शित किया कि उसे अपने इस लक्ष्य का स्मरण है कि किसानों की आय को दोगुना करना है, लेकिन उसे यह पता होना चाहिए कि इस लक्ष्य को पाने का समय करीब आ रहा है।

आम बजट पेश होने के बाद वित्त मंत्री के साथ प्रधानमंत्री ने भी यह उम्मीद जताई कि बजटीय प्रावधान उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के साथ कारोबार जगत को गति प्रदान करेंगे, लेकिन यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वास्तव में ऐसा हो। नि:संदेह ऐसा तभी होगा जब कारोबार जगत के अनुकूल माहौल का निर्माण भी हो सकेगा।