मई माह में तापमान के चालीस डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच जाने से गर्मी अब अपना प्रचंड रूप लेने लगी है। गर्मी बढ़ने के साथ ग्लैडनी ग्रिड स्टेशन में ट्रांसफार्मरों पर अत्याधिक लोड बढ़ने के कारण शहर और उसके बाहरी इलाकों में बिजली की चार से छह घंटे की अघोषित कटौती जले पर नमक का काम कर रही है। यही हाल गली मुहल्लों में लगे टांसफार्मरों का भी है, जो लोड सहन न कर पाने पर जल जाते हैं। शहर के कई इलाके ऐसे भी हैं, जहां पर इन्सूलेटिड तारे नहीं डाली गई है, जिससे कुछ क्षेत्रों में बिजली की चोरी भी धड़ल्ले से हो रही है। बिजली की आपूर्ति ठप रहने से पेयजल किल्लत भी सिर चढ़ कर बोल रही है। शहरों के साथ-साथ यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में गहराती जा रही है, क्योंकि इन क्षेत्रों में पेयजल सप्लाई बिजली पर निर्भर है। बिजली न होने पर कई मुहल्लों में कई कई दिनों तक पानी की सप्लाई संभव नहीं हो पा रही है। इससे लोगों को हफ्ते में तीन दिन ही पेयजल मिल रहा है। विडंबना यह है कि बिजली का टांसफार्मरों पर अत्याधिक लोड होने के कारण लोगों को क्वालिटी की बिजली भी नहीं मिल पा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में सिंगल फेज होने के कारण लोगों के घरों में बिजली उपकरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। विडंबना यह है कि बिजली विभाग इस्तेमाल होने वाली बिजली का लोड का सही आकलन नहीं कर पाई है। लोगों ने भी अपने घरों में बिजली का लोड कम लिखाया है, जिस कारण किराया भी उसी हिसाब से निर्धारित किया गया है। विभाग को चाहिए कि बिजली के लोड का दोबारा आकलन किया जाए और उसी क्षमता वाले ट्रांसफार्मर इलाके में लगाए जाएं। लोगों का भी यह दायित्व बनता है कि वे पानी, बिजली का इस्तेमाल मितव्ययता से करें। सरकार का दायित्व बनता है कि लोगों को मूलभूत बिजली, पानी की व्यवस्था को सुनिश्चत बनाए। बिजली के बगैर कुछ वक्त कट सकता है, लेकिन पानी के बिना सब सूना है। राज्य में बरसात के पहुंचने में डेढ़ माह का समय लगेगा। ऐसे में सरकार का दायित्व बनता है कि बिजली चोरी पर भी नकेल कसी जाए। जून में तापमान और बढ़ेगा, जिससे बिजली की खपत और बढ़ेगी। ऐसे में सरकार को नीति निर्धारित करनी होगी ताकि लोगों को बिना कटौती पानी और बिजली मिल सके।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]