ट्रैफिक की समस्या से जूझ रहे दिल्लीवासियों को राहत देने के लिए योजनाओं की घोषणा तो होती है, लेकिन उसके निर्माण कार्य को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जाती है। इससे योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिलता है। निर्माण कार्य की लागत में भी भारी बढ़ोतरी हो जाती है। रानी झांसी फ्लाईओवर भी ऐसी ही परियोजना है। पिछले लगभग आठ वर्षो से दिल्लीवासी इसके शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। निर्माण कार्य पूरा करने की तिथि कई बार आगे बढ़ाई जा चुकी है। उपराज्यपाल अनिल बैजल भी कई बार इसके काम की समीक्षा करने के लिए निर्माण स्थल पर जा चुके हैं। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को काम में तेजी लाने का निर्देश देने के बावजूद निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। इसे पूरा करने की तिथि 31 मार्च से बढ़ाकर अब 30 जून कर दी गई है। उपराज्यपाल ने शनिवार को भी इसके कार्य की समीक्षा की। 

रानी झांसी रोड और इसके आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए इस फ्लाईओवर के निर्माण की योजना लगभग आठ साल पहले नगर निगम ने तैयार की थी। इसे डेढ़ साल में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। उस समय इसकी लागत 177.72 करोड़ रुपये तय की गई। देरी की वजह से लागत बढ़कर 724.42 करोड़ हो गई है। इससे उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर करीब 546.7 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ गया है। इसलिए यह जरूरी है कि इसका निर्माण कार्य जल्द पूरा किया जाए जिससे कि सदर बाजार, बर्फखाना और रानी झांसी रोड क्षेत्र में लोगों को ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिले। इसी तरह से सिग्नेचर ब्रिज सहित कई अन्य परियोजनाओं के काम में भी देरी हो रही है।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]