राजधानी पटना सहित राज्य के विभिन्न स्थानों पर नकली दवाओं का जखीरा पकड़े जाने से संकेत मिल रहे हैं कि राज्य में लोगों की जिंदगी से खिलावड़ का 'खेल' बड़े पैमाने पर चल रहा है। पटना में ही पिछले कुछ महीनों में करोड़ों रुपये मूल्य की एक्सपायरी और नकली दवाएं पकड़ी जा चुकी हैं। हर बार नकली दवाओं के साथ इनके सौदागर भी पकड़े जाते हैं लेकिन कमजोर कानून और लचर पैरवी के चलते ये अपराधी कुछ दिन में ही जमानत पाकर जेल से बाहर आ जाते हैं और शायद फिर उसी 'काले धंधे' में लिप्त हो जाते हैं। दरअसल, पुलिस के पास कानून व्यवस्था संबंधी इतनी अधिक व्यस्तता रहती है कि वह नकली दवा कारोबार से निपटने को प्राथमिकता नहीं दे पाती। गिरफ्तार कारोबारियों को जेल भेजकर पुलिस दूसरे दायित्वों में व्यस्त हो जाती है। आरोपितों को इसका लाभ मिलता है। नकली दवा का विषय सीधे-सीधे जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। सरकार को चाहिए कि इसके लिए पुलिस विभाग में अलग विंग गठित की जाए जो सिर्फ इसी काम पर ध्यान केंद्रित रखे और इस कारोबार में लिप्त व्यक्तियों को दबोचकर उन्हें कठोरतम सजा दिलवाए। बेहतर तो यह होगा कि नकली दवा कारोबार को 'जघन्य अपराध' मानकर इसके लिए अलग कानून भी बनाया जाए जिसमें शराबबंदी कानून की तरह कठोर सजा का प्रावधान हो। यह आश्चर्य और चिंता की बात है कि नकली दवा कारोबारियों को पकडऩे के बावजूद पुलिस उनके असली ठिकाने बेनकाब नहीं कर पाती। ऐसा क्यों होता है, यह विचारणीय है। नकली दवा कारोबारियों का बेशक विश्वव्यापी और सशक्त नेटवर्क होता है लेकिन एक सिरा पकड़ में आने के बाद इनकी जड़ तक पहुंचा जा सकता है, बशर्ते इसके पीछे दृढ़ इच्छाशक्ति हो। सिर्फ दवा विक्रेता को गिरफ्तार करके जेल भेज देना इस समस्या का समाधान नहीं है। इसके लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। चिंता की बात यह भी है कि राज्य में नकली और घटिया दवाओं के परीक्षण की समुचित व्यवस्था नहीं है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और मानक के अनुरूप औषधि परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जानी चाहिए। अक्सर मरीज यह शिकायत करते हैं कि वह कई दिन से दवा ले रहे लेकिन कोई लाभ नहीं हो रहा। ऐसे मरीजों की पीड़ा समझी जा सकती है। सरकार को हर कीमत पर सुनिश्चित करना होगा कि राज्य में शत-प्रतिशत शुद्ध और गुणवत्तायुक्त दवाओं की ही बिक्री हो।
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नकली दवाओं का कारोबार 'जघन्य अपराध' है लेकिन मौजूदा कानून के चश्मे से ऐसा नहीं दिखता। यह आवश्यक है कि नकली दवा कारोबार के खिलाफ कठोर कानून बनाया जाए जिसमें दोषसिद्ध अपराधियों के लिए मृत्युदंड जैसा प्रावधान किया जाए।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]