आखिर पंजाब सरकार ने पराली से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए एक कड़ा लेकिन अच्छा कदम उठाया है। वह यह कि कंबाइनों पर सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम लगाना अनिवार्य कर दिया है। इस सिस्टम के लगने से कंबाइनें धान की कटाई इस तरह करेंगी कि पराली का भूसा बनकर खेत में ही बिछ जाएगा। किसानों को उसे आग लगाकर नष्ट करने की जरूरत नहीं होगी। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी इस तकनीक को अपनाने की सिफारिश की थी इसलिए यह यकीन किया जा सकता है कि यह पराली की समस्या से निपटने में सहायक साबित हो सकती है। बस जरूरत इस बात की है कि कंबाइन मालिक इस तकनीक को अपनाएं। इसके लिए जरूरी है कि इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करवाया जाए। इसकी काफी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन पर भी होगी। प्रशासन चाहे तो इस बारे में किसानों व कंबाइन मालिकों को जागरूक करे।

यह अच्छी बात है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कड़ाई बरतते हुए यह निर्देश जारी किए हैं कि जिन कम्बाइनों पर यह सिस्टम नहीं पाया जाएगा, उन्हें धान की कटाई की इजाजत नहीं दी जाएगी। अब इसकी कड़ी निगरानी रखना जरूरी होगा कि कौन इन हिदायतों का पालन नहीं कर रहा। यह सिस्टम न लगाने वालों को कतई बख्शा नहीं जाना चाहिए। अक्सर होता यह है कि कई बार सही ढंग से लागू न होने और सख्ती न बरते जाने की वजह से अच्छे निर्देश भी उद्देश्यों पर खरे नहीं उतरते। पराली की ही बात करें तो हालांकि नेशनल ग्रीन टिब्यूनल ने पंजाब सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इसे जलाने पर 2015 से पाबंदी लगा रखी है लेकिन वास्तव में कितनी पाबंदी लग सकी है यह किसी से छिपा नहीं है। इस बार तो स्थिति यह हो गई थी कि प्रदूषण की वजह से दिल्ली व आसपास के इलाकों में मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए थे। पराली को जलाए बिना नष्ट करने या इसके सदुपयोग के लिए कई प्रयास हो रहे हैं लेकिन सच यह है कि ज्यादातर किसानों ने विकल्पों व उपायों को अपनाया नहीं है। अब कंबाइनों पर यह सिस्टम लगाने से किसानों की काफी दिक्कत कम हो सकेगी, बशर्ते वे इसे अपनाएं।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]