उत्तराखंड में पर्यटन के विकास में योग महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसकी वजह धार्मिक पर्यटन और योग को लेकर राज्य में स्वाभाविक वातावरण का होना है।

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उत्तराखंड में इन दिनों योग महोत्सवों की धूम है। योग की वैश्विक नगरी के रूप में पहचान कायम कर चुके ऋषिकेश में राज्य सरकार के उपक्रम गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से छह दिनी अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव प्रारंभ हो चुका है। वहीं अब परमार्थ निकेतन की ओर से भी अंतर्राष्ट्रीय योग शिविर का आयोजन किया जा रहा है। योग और देवभूमि का नाता बहुत पुराना है। उत्तराखंड का हिमालयी क्षेत्र प्राचीनकाल से ही ऋषि-मुनियों की तपस्थली के रूप में जाना जाता रहा है। अलग राज्य बनने से पहले से ही उत्तराखंड देश व विदेश में योग के प्रचार-प्रसार में शिद्दत से जुड़ा रहा है। अलग राज्य बनने के बाद योग को प्रोत्साहन देने में सरकार भी बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रही है। वैसे भी दैनंदिनी भागमभाग व प्रतिस्पर्धी दौर में व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की उपयोगिता को महसूस किया जा रहा है। इसी वजह से योग वैश्विक आंदोलन का रूप भी ले चुका है। अंतर्राष्ट्रीय योग शिविर में भी 94 देशों के 1500 योगी भाग ले रहे हैं। योग के प्रति देश और विदेश में लोगों में बढ़ती रुचि उत्तराखंड में पर्यटन के विकास में नया आयाम जोड़ सकती है। भविष्य में राज्य की आर्थिकी को मजबूत बनाने की दृष्टि से पर्यटन बेहद संभावनाशील क्षेत्र है। योग से पर्यटन विकास की संभावनाओं को चार चांद लग सकते हैं।

आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत देवभूमि में योग के विकास और प्रोत्साहन के लिए स्वाभाविक वातावरण तो है ही, कानून व्यवस्था की अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण स्थिति इस वातावरण को और ज्यादा उपयुक्त बनाने में योगदान दे रही है। यही नहीं राज्य सरकार ने भी योग को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने पर विचार शुरू कर दिया है। ऋषिकेश में अंतर्राष्ट्रीय योग शिविर के उद्घाटन मौके पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अपने संबोधन में उत्तराखंड की वायु, जल और मिट्टी में योग समाहित होने की बात कहकर राज्य में योग की संभावनाओं को रेखांकित किया है। इससे योग को लेकर राज्य सरकार की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। योग और पर्यटन, दोनों के विकास में सरकार को योजनाबद्ध तरीके से आगे बढऩा होगा। खासतौर पर योग को लेकर उत्तराखंड की ब्रांडिंग किए जाने के लिए पर्यटन, संस्कृति व धर्मस्व महकमों को आपसी तालमेल के साथ ही निजी क्षेत्र और योग को लेकर जन जागरूकता की मुहिम छेड़ चुकी संस्थाओं का सहयोग भी लेना होगा।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तराखंड ]