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ब्लर्ब में
कोई भी लोकप्रिय सरकार जनाकांक्षाओं का आईना होती है। मतदाता यही सोचकर अपने मत का प्रयोग कर किसी प्रत्याशी या दल को जिताता है
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18 दिसंबर पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के भाग्य के लिए फैसले की घड़ी वाला दिन है। विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद 39 दिन का लंबा इंतजार खत्म होगा और नतीजे सार्वजनिक हो जाएंगे। 13वीं विधानसभा के लिए नौ नवंबर को हुए मतदान में 74.61 फीसद मतदाताओं ने 337 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला लिखा था। आज सामने आ जाएगा कि किसके हाथ बाजी लगती है और किसे निराश होना पड़ेगा। आज कयासों के लिए कोई जगह नहीं है और दावों-प्रतिदावों की भी जरूरत नहीं है। जो कुछ भी जनता ने लिखा, वह सबके सामने आ जाएगा। लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबी यही है कि जनता अपना तंत्र खुद चुनती है। सच यह है कि कोई भी लोकप्रिय सरकार जनता की आकांक्षाओं का आईना होती है और यही सोचकर मतदाता अपने मत का प्रयोग कर किसी प्रत्याशी या दल को विजेता बनाता है। हिमाचल प्रदेश में अब तक हुए चुनाव में इस बार सर्वाधिक मतदान हुआ था। इसका सीधा सा अर्थ है कि अधिक लोगों ने नई सरकार को चुनने की जिम्मेदारी निभाने में अहम भूमिका निभाई। एग्जिट पोल के नतीजों में भाजपा को पांच साल बाद सत्ता में वापसी करते दिखाया गया है, लेकिन वास्तव में जनता ने किसकी किस्मत में क्या लिखा है, इसका खुलासा मतों की गिनती के बाद स्पष्ट होगा। हिमाचल प्रदेश ने सीमित संसाधनों के बावजूद विकास पथ पर कदम बढ़ाए हैं और कई क्षेत्रों में देश के अग्र्रणी राज्यों में शामिल है। इसमें अब तक रहे प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की भूमिका सराहनीय रही है। अब जो भी मुख्यमंत्री बनेगा या जो भी दल सरकार बनाएगा, उससे जनता की उम्मीद यही है कि वह प्रदेश के विकास की गति को आगे बढ़ाने के लिए कदम बढ़ाए। लेकिन उससे पहले दलों, नेताओं और उनके समर्थकों के लिए मतगणना का दिन इसलिए भी संवेदनशील है कि परिणाम उनके धैर्य की परीक्षा भी लेंगे। आदर्श आचरण वही होता है, जिसमें हार या जीत को पचाने का हुनर हो। राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप, वैचारिक मतभेद हमेशा ही दिखते आए हैं और यह वैचारिक द्वंद्व ही लोकतंत्र में विमर्श का मार्ग प्रशस्त करता है। उम्मीद करनी होगी कि मतगणना के बाद सभी 68 विधानसभा हलकों में शाम उल्लासपूर्ण तो हो लेकिन अप्रिय स्थिति उत्पन्न करने वाली न हो।

[ स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश ]