भड़काऊ भाषण चाहे जिनकी ओर से दिए जाएं, उनके खिलाफ कार्रवाई में कहीं कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए

दोहरे रवैये के कारण न केवल सेक्युलरिच्म हेय शब्द बनकर रह गया है बल्कि एक देश में एक ही विधान दो तरह से काम करता हुआ दिखता है। यह स्थिति समानता के सिद्धांत और साथ ही विधि के शासन के खिलाफ है। इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे।