मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से चीतों का आगमन वन्य जीव संपदा के साथ जैव विविधिता के संरक्षण की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कदम है। यह पहल भारत ही नहीं, विश्व के लिए भी इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहली बार चीतों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में बसाया जा रहा है। चूंकि इस प्रयोग की सफलता पर दुनिया की भी निगाहें रहेंगी, इसलिए इसके लिए अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता होगी कि नामीबिया से लाए गए चीते कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में सुरक्षित-संरक्षित रहें और समय के साथ उनकी संख्या भी बढ़े।

इसी के साथ हमें अन्य वन्य जीवों के संरक्षण की दिशा में भी सक्रियता और सजगता का परिचय देना होगा। यह परिचय तभी दिया जा सकेगा, जब हमारे वन एवं राष्ट्रीय उद्यान संरक्षित रहेंगे। यह सही है कि बाघों के संरक्षण की दिशा में भारत ने एक मिसाल कायम की है और इटावा में लायन सफारी बनाने का प्रयोग भी सफल होता दिख रहा है, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि वनों में अतिक्रमण के चलते अन्य कई वन्य जीवों का अपेक्षा के अनुरूप संरक्षण नहीं हो पा रहा है।

इनमें से कुछ वे भी हैं, जिनके लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। इस खतरे को प्राथमिकता के आधार पर दूर करने में जनता के सहयोग से ही सफलता मि‍लेगी। एक ऐसे समय जब पर्यावरण के समक्ष चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं तब आम जनता को वन संपदा के महत्व से और अच्छी तरह अवगत कराना होगा। वास्तव में इससे हर कि‍सी को परिचित होना ही होगा कि जैव विविधता के संरक्षण से ही मानव जीवन को निरापद बनाया जा सकता है।

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