श्रीलंका के सेना प्रमुख महेश सेनानायके का यह दावा भारत की चिंता बढ़ाने वाला है कि उनके यहां भीषण हमले करने वाले आतंकी कश्मीर, कर्नाटक और केरल आए थे। नि:संदेह इस दावे की जांच-परख करनी होगी, क्योंकि सेनानायके यह नहीं स्पष्ट कर सके हैैं कि नेशनल तौहीद जमात के आतंकी किस खास मकसद से भारत आए थे? उन्हें यह अंदेशा है कि आतंकी प्रशिक्षण पाने के लिए कश्मीर या केरल आए होंगे। उनके दावे की सच्चाई जो भी हो, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि श्रीलंका के नेशनल तौहीद जमात जैसा एक संगठन तमिलनाडु में भी है। तमिलनाडु तौहीद जमात नामक यह संगठन अपने अतिवादी विचारों के लिए जाना जाता है। यह संगठन सड़कों पर उतरकर कश्मीर को स्वतंत्र करने की मांग करने के साथ ही भारत सरकार पर कश्मीर में फलस्तीन जैसे हालात पैदा करने का भी आरोप लगा चुका है।

बात केवल इतनी ही नहीं कि श्रीलंका और तमिलनाडु के इन दोनों अतिवादी संगठनों के नाम में समानता है, बल्कि यह भी है कि उनके विचार भी काफी मिलते हैैं। माना जा रहा है किनेशनल तौहीद जमात को भारत से धन भी मिलता रहा है। कहीं यह धन तमिलनाडु तौहीद जमात के जरिये तो नहीं भेजा गया? सच जो भी हो, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि इन दोनों संगठनों में गहरे संपर्क-संबंध होने का संदेह है। चिंता की बात यह है कि दक्षिण भारत के कई नेता तमिलनाडु तौहीद जमात के प्रति नरम रवैया रखने के लिए जाने जाते हैैं। जाहिर है कि ये नेता देश की सुरक्षा से अधिक वोट बैैंक की अपनी राजनीति को महत्व दे रहे हैैं। केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी तरह के अतिवादी संगठनों को राजनीतिक संरक्षण और समर्थन न मिलने पाए। उसे यह भी सुनिश्चित करना होगा कि केरल आइएस सरीखे खूंखार आतंकी संगठन के प्रति हमदर्दी रखने वाले तत्वों से मुक्त हो।

यह तथ्य गहन चिंता का कारण है कि केरल के कई युवक आइएस में शामिल होने के लिए सीरिया जा चुके हैैं। कुछ ऐसे भी हैैं जो सीरिया जाने में नाकाम रहे तो जेहाद करने अफगानिस्तान चले गए। तमिलनाडु और केरल में जिहादी आतंक के प्रति लगाव रखने वाले तत्वों की संख्या बढ़ना शुभ संकेत नहीं। एक ऐसे समय जब श्रीलंका की तरह बांग्लादेश में भी आइएस और अलकायदा के समर्थक बढ़ते दिख रहे हैैं तब भारत को कहीं अधिक सतर्क रहना होगा। यह स्वाभाविक ही नहीं, आवश्यक भी है कि भारत सरकार श्रीलंका के उस दावे की तह तक जाने के ठोस कदम उठाए जिसके तहत कहा जा रहा है कि आत्मघाती हमलावर भारत आए थे। इसी के साथ उन कारणों की तह तक भी जाना होगा जिनके चलते श्रीलंका ने भारत की ओर से दी गई खुफिया सूचना की अनदेखी कर दी।

भारत ने चर्चों में आतंकी हमले की एक तरह से सटीक सूचना दी थी, लेकिन कहा जा रहा है कि श्रीलंका सरकार ने यह मानकर उसकी उपेक्षा कर दी कि इस सूचना का मकसद पाकिस्तान को बदनाम करना हो सकता है। अगर वास्तव में ऐसा है तो श्रीलंका ने एक तरह से आत्मघाती भूल की।

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