सेना प्रमुख बिपिन रावत का यह कथन पाकिस्तान के आतंकी चरित्र को ही बयान करता है कि बालाकोट में आतंकियों के ठिकाने को फिर से सक्रिय कर दिया गया है। यह वही आतंकी ठिकाना है जिसे पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने हवाई हमले के जरिये ध्वस्त किया था। माना जाता था कि इस हवाई हमले के बाद उसके होश ठिकाने आ जाएंगे, लेकिन अब पता चल रहा है कि ऐसा नहीं हुआ। इसे देखते हुए यह सर्वथा उचित है कि सेना प्रमुख ने बिना किसी लाग लपेट कहा कि अगली बार बालाकोट से भी बड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि पाकिस्तान से कम से कम पांच सौ आतंकी भारत में घुसने की फिराक में हैं। इसका मतलब है कि पाकिस्तान आसानी से मानने वाला नहीं हैं। कश्मीर पर उसके गर्जन-तर्जन से यह जाहिर भी हो रहा है। वह इस तरह बौराया हुआ है जैसे जम्मू-कश्मीर पर वही शासन कर रहा हो।

कश्मीर पर पाकिस्तान की बौखलाहट यही बताती है कि कोई देश किस तरह दिवास्वप्न से ग्रस्त होकर अपने को बर्बादी के रास्ते पर ले जा सकता है। उसे केवल यही मुगालता नहीं था कि मुस्लिम जगत की ठेकेदारी उसके पास है, बल्कि वह इस सनक से भी ग्रस्त था कि एक दिन कश्मीर उसका होगा। वह इस सनक का शिकार तब है जब उसकी अर्थव्यवस्था रसातल में है और उसे एक तरह से भीख मांगकर गुजारा करना पड़ रहा है।

हालांकि पाकिस्तान के आम लोग यह समझ रहे हैं कि विश्व व्यापी बदनामी के कारण दुनिया उस पर ध्यान नहीं दे रही है, लेकिन पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान और खासकर उसकी सेना को शायद इसकी परवाह नहीं। हैरानी इस पर है कि क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान सच को स्वीकार करने के बजाय अपनी आतंकपरस्त सेना की कठपुतली बनना पसंद कर रहे हैं।

पाकिस्तान एक ओर खुद को आतंक पीडि़त बताता है और दूसरी ओर किस्म-किस्म के आतंकियों को पालने-पोसने का भी काम करता है। उसकी इसी दुष्प्रवृत्ति को गत दिवस ह्यूस्टन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और साथ ही एक तरह से विश्व समुदाय के समक्ष इस सवाल के जरिये बयान किया कि आखिर 9-11 और 26-11 के आतंकी हमलों के साजिशकर्ता कहां पाए गए? आतंक के रास्ते पर चलते रहने पर आमादा पाकिस्तान यही जाहिर कर रहा है कि वह अभी भारत समेत दुनिया के लिए सिरदर्द बना रहेगा। हालांकि दुनिया पाकिस्तान का रोना-धोना सुनना पसंद नहीं कर रही है, लेकिन उसकी हरकतों को देखते हुए भारत को उससे नए सिरे से निपटने की तैयारी रखनी चाहिए। यह तैयारी निर्णायक ही होनी चाहिए।