सबसे भयानक रेल दुर्घटनाओं में से एक बालेश्वर रेल हादसे में यह तथ्य सामने आना गंभीर चिंता का कारण बनना चाहिए कि इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम में गड़बड़ी के कारण यह दुर्घटना हुई। विस्तृत जांच रिपोर्ट इस पर और विस्तार से प्रकाश डालेगी, लेकिन एक ऐसे समय जब देश में ट्रेनों की संख्या और उनकी गति बढ़ती चली जा रही है, तब उनके सुरक्षित संचालन के लिए त्रुटिहीन तकनीक का उपयोग सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य है। यदि यह सच है कि दक्षिण पश्चिम रेलवे के एक पूर्व अधिकारी ने इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम की अनदेखी होने की बात कही थी तो फिर इसकी तह तक जाना चाहिए कि उनकी रिपोर्ट को गंभीरता से लिया गया या नहीं?

इसी के साथ इस प्रश्न का उत्तर भी मिलना चाहिए कि इलेक्ट्रानिक सिग्नल मेंटेनर सही तरह काम करता है या नहीं? ट्रेनों के संचालन में ऐसी किसी तकनीक के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती, जो पूरी तरह भरोसेमंद न हो या फिर जिसमें गड़बड़ी होने की तनिक भी गुंजाइश रहती हो। चूंकि बालेश्वर हादसा बहुत ही भयावह है और इस तरह के हादसे स्वीकार्य नहीं, इसलिए उसकी केवल सघन जांच ही नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में इस तरह के हादसे न हों। यह सुनिश्चित करके ही उस भरोसे को बहाल किया जा सकता है, जो बालेश्वर रेल हादसे के बाद डिगा हुआ सा दिखने लगा है।

रेल मंत्री की ओर से बालेश्वर हादसे की जांच सीबीआइ से कराने की सिफारिश यह बताती है कि मामला बहुत गंभीर है, लेकिन मुद्दा केवल दुर्घटना के लिए जिम्मेदार कारणों और लोगों की पहचान ही नहीं, बल्कि यह भी है कि ट्रेनों का सुरक्षित संचालन कैसे सुनिश्चित हो। इसके लिए ऐसी भरोसेमंद तकनीक विकसित करनी होगी, जिसमें न तो किसी खामी के लिए गुंजाइश रहे और न ही किसी मानवीय भूल के लिए। यह अच्छी बात है कि बालेश्वर रेल हादसे को लेकर लगभग एक स्वर से यह मांग उठी है कि उसकी गहनता से जांच हो, लेकिन इसी के साथ विरोधी दलों के कुछ नेता रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के त्यागपत्र की मांग करने में जुट गए हैं।

यह मांग करने वालों को अपने आप से यह प्रश्न करना चाहिए कि क्या रेल मंत्री का त्यागपत्र उन कारणों का निवारण करने में सहायक सिद्ध होगा, जिनके चलते इतना बड़ा हादसा हुआ और जिसमें 275 रेल यात्री मारे गए और एक हजार के करीब घायल हो गए? यह विडंबना ही है कि अश्विनी वैष्णव से त्यागपत्र मांगने वालों में वे पूर्व रेल मंत्री भी हैं, जिनके समय भी बड़े रेल हादसे हुए और तब उन्होंने त्यागपत्र देने की कोई आवश्यकता नहीं समझी। रेल मंत्री से त्यागपत्र मांगने वालों को इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि उन्होंने रेलवे की हालत सुधारने और ट्रेनों के सुरक्षित संचालन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है।