अब इसमें कोई संशय नहीं कि आस्ट्रेलिया में एक के बाद एक हिंदू मंदिरों में हो रहे हमले किसी सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा हैं। यह भी स्पष्ट है कि ये हमले खालिस्तान समर्थकों की ओर से किए जा रहे हैं। यह सामान्य बात नहीं कि इस माह अभी तक आस्ट्रेलिया के तीन हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जा चुका है। इस सिलसिले को देखते हुए यह आवश्यक था कि भारत सरकार आस्ट्रेलिया के सामने अपनी चिंता प्रकट करती।

भारत ने यह जो आशंका व्यक्त की कि ये हमले यह बता रहे हैं कि आस्ट्रेलिया में खालिस्तान समर्थक सिर उठा रहे हैं, वह इसलिए सही है, क्योंकि हिंदू मंदिरों पर जैसे नारे लिखे लिए, वे खालिस्तान समर्थकों की ही करतूत बयान करते हैं। भारत इसकी भी अनदेखी नहीं कर सकता कि आतंकी संगठन सिख फार जस्टिस मेलबर्न और सिडनी में खालिस्तान को लेकर कथित जनमत संग्रह कराने की कोशिश कर रहा है। इस तरह की कोशिश कनाडा समेत अन्य देशों में भी की गई है। हालांकि यह व्यर्थ की हास्यास्पद कसरत है और इसका कोई मूल्य-महत्व नहीं, लेकिन यह चिंताजनक तो है ही कि कुछ पश्चिमी देश जनमत संग्रह के नाम पर किए जाने वाले इस शिगूफे को रोकने के लिए कोई कोशिश नहीं कर रहे हैं। इस तमाशे को वे जिस तरह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ देते हैं, उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देता है।

अभिव्यक्ति की आजादी में घृणा फैलाने वाले भाषणों, हिंसा और अलगाववाद के लिए कोई गुंजाइश नहीं हो सकती। खालिस्तान समर्थक हिंदू मंदिरों में भारत विरोधी नारे लिखकर नफरत फैलाने का ही काम कर रहे हैं। यदि खालिस्तान समर्थक बिना किसी भय–हिचक हिंदू मंदिरों के बाहर नफरती नारे लिखने में सक्षम हैं तो इसका अर्थ है कि उनका दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। उनका जैसा दुस्साहस आस्ट्रेलिया में बढ़ रहा है, वैसे ही कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन आदि में भी।

चिंता की बात यह भी है कि ये देश खालिस्तानी तत्वों के प्रति कुछ ज्यादा ही उदार रवैया अपनाए हुए हैं। वास्तव में इसी कारण उनका दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। यह भी ध्यान रहे कि पश्चिमी देशों में खालिस्तान समर्थकों के दुस्साहस पर कोई लगाम न लगने के कारण वे भारत में भी अशांति फैलाने की कोशिश करते रहते हैं। पंजाब में उनकी सक्रियता किसी से छिपी नहीं। यह भी किसी से छिपा नहीं कि खालिस्तानी तत्वों की सक्रियता को रोकने के लिए पंजाब सरकार वैसे कदम नहीं उठा पा रही है, जैसे उठाने आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य हैं। स्पष्ट है कि भारत सरकार को एक ओर जहां यह देखना होगा कि आस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों में खालिस्तानी तत्व सिर न उठाने पाएं, वहीं उसे यह भी सुनिश्चित करना होगा कि देश में भी उनके दुस्साहस का दमन हो।