जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ऊमपुर के समरौली इलाके में भूस्खलन से राष्ट्रीय राजमार्ग दूसरे दिन भी पूरी तरह यातायात के लिए न खुल पाने के कारण रास्ते में फंसे यात्रियों की दिक्कतों का अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है। जम्मू के नगरोटा इलाके में अभी भी सैकड़ों माल से लदे ट्रक फंसे हुए हैं। विडंबना यह है कि राजमार्ग के साथ लगते पहाड़ अब इतने जर्जर हो गए हैं कि हल्की बारिश में भूस्खलन से राजमार्ग कई दिनों के लिए बंद हो जाता है। अब यह राजमार्ग यात्रियों के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है। कब किसे पता कि कहां राजमार्ग अवरुद्ध हो जाए और उन्हें सड़कों पर ही फंस कर रह जाना पड़े। दो दिन पहले समरौली इलाके में भूस्खलन से करीब तीन सौ किलोमीटर जम्मू-श्रीनगर हाई-वे पर सैकड़ों यात्री और वाहन फंस कर रह गए। राज्य सरकार केवल नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किए जा रहे फोर-लेन राजमार्ग के बनने का इंतजार कर रही है। हालांकि इसमें अभी कई साल लग जाएंगे। बेशक जम्मू से लेकर ऊधमपुर तक राजमार्ग का निर्माण कार्य अथॉरिटी ने पूरा कर लिया है लेकिन उधमपुर से चनैनी का पच्चीस किलोमीटर का रास्ता जर्जर हालत में है। चिनैनी से नाशरी तक टनल बन जाने से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन नाशरी से आगे बनिहाल टनल तक का रास्ता बहुत ही फिसलन व भूस्खलन वाला है। इस सरकार का यह दायित्व बनता है कि नया राजमार्ग बनने तक मौजूदा खस्ताहाल मार्ग की मरम्मत में पूरा ध्यान दे क्योंकि यह जम्मू और कश्मीर के लोगों की लाइफ लाइन है। ऐसी हालत राजमार्ग की पहले नहीं थी लेकिन पहाड़ों को काटने के लिए विस्फोट करने से वह हिल चुके हैं क्योंकि इन पहाड़ों की संरचना रेतीली है। राजमार्ग के दोनों ओर देवदार, चीड़, शीशम के अलावा अन्य कई तरह के पेड़-पौधों की जिस तरह अंधाधुंध कटाई हुई है, उससे मिट्टी का बांधे रखना भी मुश्किल हो रहा है। सरकार को चाहिए कि वह राजमार्ग की दशा सुधारने के लिए जल्द कदम उठाए।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]