सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद सरकार को कुछ करना ही होगा कि आखिर वह कोई दिशा-निर्देश लागू क्यों नहीं कर रही है? कहना कठिन है कि भारत सरकार सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने के लिए क्या और कैसे दिशा-निर्देश तैयार करती है और वे किस हद तक प्रभावी होते हैैं, लेकिन इसमें दोराय नहीं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मनमाना इस्तेमाल हो रहा है। ऐसा केवल भारत में ही नहीं, दुनिया के अन्य देशों में भी हो रहा है। इसी कारण सोशल मीडिया का दुरुपयोग पूरी दुनिया के लिए एक समस्या बन गया है।

सोशल मीडिया का दुरुपयोग केवल ट्र्रोंलग के रूप में ही नहीं हो रहा है। एक बड़ी समस्या यह है कि सोशल मीडिया के माध्यम से वैमनस्य के साथ झूठी खबरें फैलाने का काम भी किया जा रहा है। कई बार तो यह काम सुनियोजित तरीके से किया जाता है और इसी क्रम में जनमत को भी प्रभावित करने की कोशिश की जाती है। इस सिलसिले में कैंब्रिज एनालिटिका नामक कंपनी पर लगे इस सनसनीखेज आरोप की अनदेखी नहीं की जा सकती कि उसने फेसबुक का डाटा चोरी कर अमेरिकी चुनावों को प्रभावित करने का काम किया।

नि:संदेह उन घटनाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती जो वाट्सएप के जरिये फैलाई गई अफवाहों के नतीजे में घटीं। ऐसी कई घटनाएं भारत में भी घटीं। इन घटनाओं के बाद वाट्सएप ने फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के कुछ उपाय अवश्य किए, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि सोशल मीडिया के जरिये कि फर्जी खबरें फैलाने का काम बंद हो चुका है। अगर ऐसा नहीं हुआ है तो इसकी एक वजह यह है कि सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म ट्र्रोंलग और फर्जी खबरों को रोकने के लिए प्रभावी उपाय नहीं कर सके हैैं।

बेहतर हो कि सोशल मीडिया कंपनियां अपने प्लेटफार्म का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए सरकारों का सहयोग करें। उनके सहयोग से ही सरकार ऐसे दिशा-निर्देश बना सकती है जो सोशल मीडिया के दुरुपयोग रोकने में प्रभावी सिद्ध हों। ऐसे दिशा-निर्देश चाहे जब बनें, यह आवश्यक है कि सोशल मीडिया में सक्रिय लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की महत्ता और साथ ही उसकी गरिमा को भी समझें।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का यह मतलब नहीं हो सकता कि जिसके मन में जो आए वह कहे। यदि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ नहीं किया जाएगा तो उपयोगी माना जाने वाला सोशल मीडिया बदनामी का शिकार होकर अपनी महत्ता खो सकता है। ऐसा न हो, इसके लिए सभी को सजग-सक्रिय होकर इसके लिए अतिरिक्त कोशिश करनी चाहिए कि सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म संवाद का उपयोगी मंच बनें।