आधार की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर केवल मोदी सरकार के लिए ही नहीं, उन सभी लोगों के लिए राहत की एक बड़ी खबर है जो सरकारी सेवाओं एवं अनुदान में पारदर्शिता के हामी थे और यह देख रहे थे कि इसका प्रयोग किस तरह अनियमितताओं को रोकने में सहायक बन रहा है। आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसलिए कहीं अधिक नीर-क्षीर भरा और संतुलित है कि एक ओर जहां उसने इस विशिष्ट पहचान पत्र के जरिये निजता का हनन होने के अंदेशे को निराधार बताया वहीं दूसरी ओर उन प्रावधानों को खारिज भी कर दिया जो आधार के अनावश्यक इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे थे। नि:संदेह इसका औचित्य समझना कठिन हो रहा था कि आखिर स्कूलों में दाखिले और परीक्षाओं आदि में आधार को अनिवार्य क्यों बनाया जा रहा है? इसी तरह निजी कंपनियों को आधार के आंकड़े एकत्र करने की अनुमति देने की भी जरूरत समझ नहीं आ रही थी।

सुप्रीम कोर्ट ने निजी कंपनियों को आधार का इस्तेमाल करने वाले कानूनी प्रावधान को रद करने के साथ ही आधार के विरोध में उतरे लोगों की ऐसी दलीलों को खारिज कर बिल्कुल सही किया कि यह पहचान पत्र लोगों की जासूसी का जरिया बन रहा है। दुर्भाग्य से इस तरह की दलीलें उस कांग्रेस के नेता भी दे रहे थे जिनकी पहल से आधार अस्तित्व में आया। यह अपनी तरह का विशिष्ट और विचित्र मामला ही कहा जाएगा कि जिस दल ने आधार को लागू किया वही राजनीतिक संकीर्णता के वशीभूत होकर उसके खिलाफ खड़ा हो गया। ऐसा करते हुए उसने यह देखना भी जरूरी नहीं समझा कि आधार के जनक कहे जाने वाले नंदन नीलेकणि क्या कह रहे हैैं? यह अच्छा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार को वैध बताने के साथ ही उससे संबंधित विधेयक को धन विधेयक के तौर पर पेश और पारित किए जाने को सही करार दिया।

यह हास्यास्पद है कि आधार के आलोचक और निंदक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सरकार के लिए झटका बताकर खुश हो रहे हैैं। स्पष्ट है कि वे यह देखने को तैयार नहीं कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार को सही ठहराते हुए केवल उसके अनावश्यक इस्तेमाल को खारिज किया है। शायद वे इस तथ्य से भी अनभिज्ञ रहना चाहते हैैं कि सुप्रीम कोर्ट ने आयकर रिटर्न दाखिल करने के साथ ही पैन कार्ड को आधार से जोड़ने की व्यवस्था को हरी झंडी दिखाई है। यह सही है कि सुप्रीम कोर्ट ने बैैंक खातों को आधार से जोड़ने की सरकार की दलील नहीं मानी, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि उसने यह नहीं कहा कि बैैंक खाताधारकों से पैन कार्ड की मांग नहीं कर सकते।

यह भी उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार को जनहित में सहायक बताने के साथ ही गरीबों की ताकत कहा और यह भी स्पष्ट किया कि सब्सिडी देने वाली एवं जन कल्याणकारी योजनाओं में आधार लागू होगा। हालांकि पांच सदस्यीय पीठ के एक जज ने आधार पर अपनी असहमति जताई, लेकिन उसका अकादमिक महत्व ही अधिक है। सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार की बुनियाद को और मजबूत किया।