संसद के भीतर और बाहर कई बार अपनी बेतुकी बातों से कांग्रेस को शर्मिंदा कर चुके कांग्रेसी सांसद अधीर रंजन चौधरी का यह बयान बेतुका ही है कि अगर कश्मीर में आतंकियों के साथ पकड़ा गया पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह यदि देविंदर खान होता तो आरएसएस के समर्थकों की प्रतिक्रिया कहीं तीखी होती। चूंकि अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैैं इसलिए यही माना जाएगा कि वह पार्टी की रीति-नीति को ही बयान कर रहे हैैं। यदि वह कांग्रेस की आधिकारिक राय को प्रकट नहीं कर रहे तो फिर पार्टी को स्पष्ट करना चाहिए कि वस्तुस्थिति क्या है? सवाल यह भी है कि क्या अधीर रंजन चौधरी यही देखते हैैं कि सोशल मीडिया पर किसी मसले पर किस संगठन के समर्थक और उनकी भाषा में कहें तो ट्रोल्स क्या कह रहे हैैं?

आखिर वह इस नतीजे पर कैसे पहुंच गए कि देविंदर सिंह के मामले में आरएसएस समर्थकों की प्रतिक्रिया उतनी तीखी नहीं है जितनी होनी चाहिए? क्या वह खुद एक ट्रोल की तरह व्यवहार नहीं कर रहे हैैं? कांग्रेस इस पर ध्यान दे तो बेहतर कि अधीर रंजन चौधरी किस तरह उसकी जगहंसाई करा रहे हैैं। समझना कठिन है कि कांग्रेस के नीति-नियंता इसकी अनदेखी कैसे कर रहे हैैं कि हाल के समय में अधीर रंजन चौधरी ने जब भी संसद के भीतर या बाहर कुछ बोला है, पार्टी को असहज ही किया है। सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणियां भी बेहद हल्की किस्म की होती ही हैैं। यह लगता ही नहीं कि वह पांच बार के सांसद और देश की सबसे पुरानी पार्टी के लोकसभा में नेता हैैं।

देविंदर सिंह के मामले में अधीर रंजन चौधरी का बेहूदा बयान राजनीति की गरिमा को गिराने वाला ही नहीं, सार्वजनिक विमर्श को छिछले स्तर पर ले जाने वाला भी है। आखिर जब जम्मू-कश्मीर पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के स्तर पर यह स्पष्ट कर दिया गया है कि देविंदर सिंह के साथ एक आतंकी सरीखा व्यवहार किया जाएगा तब फिर अधीर रंजन या फिर अन्य किसी को हिंदू-मुस्लिम का सवाल खड़ा करने की क्या जरूरत थी?

आखिर कांग्रेस हर मामले में हिंदू-मुस्लिम का सवाल खड़ा करने को आतुर क्यों है? नागरिकता संशोधन कानून के मामले में वह कुल मिलाकर यही कर रही है और वह भी बड़े ही भोंडे ढंग से। वह नागरिकता संशोधन कानून को मुस्लिम विरोधी बताने के लिए हर तरह के छल-छद्म का सहारा लेने में जुटी हुई है और वह भी तब जब इस कानून का किसी भारतीय नागरिक से कोई लेना-देना ही नहीं। यदि कांग्रेस अथवा अन्य किसी दल के नेता राजनीतिक विमर्श के स्तर को गिराएंगे तो वे पार्टी को रसातल में ही ले जाएंगे।