सरकार करोड़ों-अरबों रुपये खर्च कर हमारी सहूलियत के लिए चौड़े सुंदर राजमार्गो का निर्माण करवाती है पर हम हैं कि अपना ही नुकसान करने से बाज नहीं आते। लखनऊ से कानपुर जाने वाला राजमार्ग हो या फिर सुलतानपुर होते हुए बनारस जाने का रास्ता या फिर बरेली-शाहजहांपुर मार्ग, ये सभी अवैध कब्जों की समस्या से जूझ रहे हैं। लखनऊ से कानपुर जाने वाले राजमार्ग की स्थिति तो सबसे खराब है। यात्रियों का सफर उस समय और कष्टमय हो जाता है जब उन्हें सड़क किनारे खड़े वाहनों की वजह से थोड़ी-थोड़ी दूर पर जाम मिलता है। इस राजमार्ग की सर्विस लेन पर व्यापारियों ने पुलिस की मिलीभगत से कब्जा कर रखा है। व्यावसायिक माल ढोने वाले बड़े-बड़े वाहन हाईवे पर आड़े-तिरछे खड़े रहते हैं। इन्हें ओवरटेक कर निकलने की कोशिश में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। जगह-जगह बने अवैध कट से भी हादसों में वृद्धि हो रही है।

उन्नाव के हिस्से में पड़ने वाली सड़क की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) का कहना है कि उनके पास इस रास्ते से अतिक्रमण व कब्जे हटाने के लिए कोई फोर्स नहीं है। उधर, जिलाधिकारी कहते हैं कि अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। उनका दावा कितना पोला है, यह सड़क का हाल बता ही देता है। पुलिस अतिक्रमण न होने का दावा करती है पर स्थानीय व्यापारी स्वयं कहते हैं कि उन्हें पुलिस के आने की जानकारी पहले ही हो जाती है और वे उतनी देर के लिए दुकान के बाहर का सामान समेट लेते हैं। सरकारी मशीनरी अगर चाह ले तो क्या नहीं संभव। अधिकारियों को ईमानदारी के साथ इन राजमार्गो का गौरव वापस लौटाने का प्रयास करना होगा। सबसे पहले पुलिस और व्यापारियों की मिलीभगत पर लगाम लगानी होगी। प्रशासनिक और औद्योगिक राजधानी के बीच का संपर्क मार्ग यदि इतने बुरे हाल में है तो राज्य सरकार को अपने अधिकारियों की कार्यकुशलता का अनुमान लगाने में कठिनाई नहीं होनी चाहिए। कानपुर के कितने ही लोग अमौसी हवाई अड्डे तक आते आते बेहाल हो जाते हैं। सरकार को उनकी चिंता करनी चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]