पहाड़ में बंद और प्रदर्शन पर रोक लगा कर जनजीवन सामान्य करने को लेकर विनय तामांग और उनके सहयोगी सक्रिय हो उठे हैं। कहीं-कहीं पहाड़वासियों को समझा-बुझा कर वे बंद का प्रभाव विफल करने में सफल भी हो रहे हैं। पहाड़वासी भी शांतिपूर्ण जीवन यापन करने के पक्ष में हैं,लेकिन बंद समर्थकों के कहीं-कहीं ङ्क्षहसक वारदात करने से आम लोगों के मन में डर बना हुआ है। 29 अगस्त को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पहाड़ पर शांति बहाली को लेकर वहां के राजनीतिक दलों के साथ नवान्न में बैठक के बाद विनय तामांग ने बंद उठा लेने की घोषणा की थी। उसके बाद गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख विमल गुरुंग ने विनय तामांग को पार्टी से निकाल दिया, लेकिन गोरखा जनमुक्ति मोर्चा से निकाले जाने के बावजूद विनय तामांग हताश नहीं हुए हैं। उनका कहना है कि पहाड़ की जनता शांति के पक्ष में है और उन्हें जनता का समर्थन मिल रहा है। वह खुद को मोर्चा का असली नेता बता रहे हैं और गुरुंग को चुनौती भी देने लगे हैं। लेकिन पहाड़ में गुरुंग समर्थक प्रदर्शनकारियों का ही प्रभाव है। तीन माह से वहां अचल अवस्था बनी हुई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दो-दो बार बैठक करने के बावजूद पहाड़ समस्या का समाधान सूत्र नहीं निकला। गुरुंग ने साफ कहा है कि जब तक त्रिपक्षीय बैठक नहीं बुलाई जाती है तब तब तक वह पहाड़ से बंद नहीं उठाएंगे। सरकार ने गुरुंग के विरुद्ध यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है। मुख्यमंत्री को लगता है कि पुलिस की दबिश बढऩे पर गुरुंग और उनके समर्थक पस्त हो जाएंगे और आंदोलन पर उनकी पकड़ ढीली पड़ जाएगी। ऐसे में गुरुंग के विकल्प के रूप में विनय तामांग या कोई अन्य उदारवादी नेता उभर सकता है जिसके साथ सरकार मन मुताबिक समझौता कर सकती है। लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है। मुख्यमंत्री ने जब कह दिया है कि अलग राज्य पर बातचीत करना उनके अधिकार में नहीं है, इसलिए गुरुंग ने त्रिपक्षीय बैठक की मांग की है ताकि वहां अलग राज्य का मुद्दा उठाया जा सके। पहाड़ में आंदोलनकारियों में फूट का कोई तत्कालिक फायदा सरकार को मिलेगा ऐसा नहीं लगता। सरकार को संबंधित पक्षों को साथ लेकर पहाड़ में शांति बहाली का सार्थक हल खोजना चाहिए।
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हाईलाइटर::(मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दो-दो बार बैठक करने के बावजूद पहाड़ समस्या का समाधान सूत्र नहीं निकला। गुरुंग ने साफ कहा है कि जब तक त्रिपक्षीय बैठक नहीं बुलाई जाती है तब तब तक वह पहाड़ से बंद नहीं उठाएंगे।)

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]