दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज का काम रुकने जैसी स्थिति उत्पन्न होना निराशाजनक है। इससे बनने में न सिर्फ देरी होगी बल्कि लोगों की समस्या भी बरकरार रहेगी। गंभीर चिंता की बात यह है कि इस परियोजना पर खर्च के लिए सिर्फ दस दिन की धनराशि शेष है और आगे की धनराशि के लिए दिल्ली सरकार ने कोई पहल नहीं की है। पिछले वर्ष भी इसका काम छह माह तक इसीलिए रुका रहा था क्योंकि दिल्ली सरकार की ओर से इसके लिए धनराशि जारी नहीं की गई थी। सिग्नेचर ब्रिज परियोजना दिल्ली की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना थी। इसके जरिये उत्तरी दिल्ली को पूर्वी दिल्ली से यमुना के ऊपर पुल बनाकर जोड़ा जाना है, वहीं यह पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है।

दिल्ली के इन दो क्षेत्रों को जोड़ने के लिए मौजूदा वजीराबाद का पुराना पुल काफी संकरा है और वहां दोनों ओर कई-कई घंटे जाम लगता है। ऐसे में इस जाम से मुक्ति दिलाए जाने की आवश्यकता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि परियोजना में वर्षो की देरी से लोगों की समस्या दूर करने में कोई मदद नहीं मिल सकी है, बल्कि इसकी लागत भी करीब चार गुना तक बढ़ चुकी है। वर्ष 2004 में जब यह परियोजना तैयार की गई थी, तब इसकी अनुमानित लागत 400 करोड़ रखी गई थी, जबकि अब यह करीब 1575 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। ऐसे में यह जरूरी है कि इस परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाए व दिल्ली सरकार इसके लिए तत्काल धनराशि की व्यवस्था करे।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]