जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित रामबन जिले के पीड़ा इलाके में भूस्खलन के कारण सड़क पर चट्टान गिरने से हाईवे के दोनों ओर से घंटों अवरूद्ध होकर रह जाना कोई नई बात नहीं है। विडंबना यह है कि राष्ट्रीय राजमार्ग जर्जर हालत में है और हल्की बारिश में भी कई जगहों पर भूस्खलन से अवरूद्ध होकर रह जाता है। पिछले कुछ वर्षों में मौसम चक्र पर नजर डालें तो अप्रैल माह में बारिश अब असामान्य रूप से देखी जा रही है। जिससे देश भर से सैलानी कश्मीर घाटी में पहुंच रहे हैं। कश्मीर घाटी के लोग पूर्णत पर्यटन उद्योग पर निर्भर हैं। अगर तीन सौ किलोमीटर लंबा जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग इस तरह बंद रहेगा तो नि:संदेह घाटी में सैलानियों का आगमन रुक सकता है। इसके लिए यह जरूरी हो जाता है कि स्थानीय प्रशासन आपदा प्रबंधन के लिए पहले से ही पूरी तरह तैयारी कर ले ताकि किसी भी स्थिति में फंसे लोगों को तत्काल मदद पहुंचाई जा सके।

जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग को यातायात के लिए हर समय खुला रखने के लिए यह जरूरी भी है। ऐतिहासिक मुगल रोड जो कश्मीर घाटी को जम्मू से जोड़ता है, को अप्रैल माह में सैलानियों के लिए खोल दिया जाती है, लेकिन मौसम के बदलते रुख को देखते हुए यह यकीन नहीं होता कि कब सैलानी मार्ग में फंस जाएं। सरकार को चाहिए कि जम्मू- श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को फोर लेन बनाने के काम को शीघ्र पूरा किया जाए। यह अच्छी बात है कि यह काम जम्मू से लगभग सौ किलोमीटर तक पूरा कर लिया गया है। केवल नाशरी से बनिहाल के बीच सौ किलोमीटर तक राष्ट्रीय राजमार्ग को पूरा करने का काम जारी है। अगर यह काम जल्द पूरा हो जाता है तो सैलानी बेहिचक कश्मीर की वादियों में सैर सपाटे के लिए आ सकेंगे। मुगल रोड पर भी पीर की गली के रास्ते टनल बनाने का काम जारी है। अगर यह टनल बन जाती है तो यह ऐतिहासिक मार्ग भी सैलानियों और स्थानीय लोगों के लिए हर मौसम में खुला रह सकता है। आने वाले कुछ वर्ष में कश्मीर घाटी रेलमार्ग से भी जुड़ जाएगी। इससे सैलानी बारह महीने कश्मीर की वादियों में आ जा सकेंगे।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]