रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह कहना महत्वपूर्ण है कि कश्मीर समस्या का समाधान होगा और यह कैसे होगा, इसे सरकार अच्छी तरह जानती है। चूंकि उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान की दिशा में काम हो रहा है इसलिए ऐसा होने की उम्मीद बढ़ गई है। इसका एक कारण यह भी है कि पिछले कुछ समय से कश्मीर के हालात अपेक्षाकृत काबू में दिख रहे हैं। वहां बचे-खुचे आतंकियों का सफाया हो रहा है, अलगाववादियों एवं पाकिस्तानपरस्त तत्वों के हौसले पस्त हैं और पाकिस्तान से आतंकियों की घुसपैठ में भी कमी दिख रही है।

इस सबके बावजूद इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अतीत में कश्मीर के हालात सुधरने और बिगड़ने का एक सिलसिला सा कायम रहा है। इस सिलसिले को समाप्त कर घाटी के हालात सामान्य बनाने और वहां स्थाई शांति लाने की आवश्यकता है। चूंकि हाल में खुद गृह मंत्री अमित शाह की ओर से ऐसे संकेत दिए गए हैं कि वह कश्मीर को पटरी पर लाने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं इसलिए वहां के हालात सुधरने को लेकर लोगों की अपेक्षा बढ़ गई है। इस अपेक्षा की पूर्ति समय की मांग भी है।

इससे इन्कार नहीं कि कश्मीर समस्या जटिल है और उसका रातोंरात समाधान नहीं हो सकता, लेकिन इसका भी कोई औचित्य नहीं कि वहां अराजकता और अस्थिरता का दौर जारी रहे। यह दौर बीते करीब तीन दशकों से जारी है। इस पर विराम लगाने के लिए आतंक और अलगाव के समर्थकों पर दबाव बनाना जरूरी हो गया था। यह सर्वथा उचित है कि इस क्रम में घाटी में असर रखने वाले उन तत्वों को अधिक महत्व नहीं दिया जा रहा है जिन्होंने दबे-छिपे ढंग से अलगाववाद को हवा देने का काम किया है। शायद ऐसे तत्वों की ओर संकेत करते हुए ही रक्षा मंत्री ने यह कहा कि यहां कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते कि कश्मीर का विकास हो।

अलगाव को पोषण देने वाले इन तत्वों को सचमुच नाकाम करने का समय आ गया है। जैसे यह एक सच्चाई है कि कश्मीर के बिगड़े हालात के लिए वहां के राजनीतिक दल भी एक बड़ी हद तक जिम्मेदार हैं वैसे ही यह भी कि पाकिस्तान ने घाटी को तबाह करने का काम किया है। यह अच्छा हुआ कि रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को सख्त संदेश देने के साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि बातचीत हो या न हो, कश्मीर मसले का समाधान होगा। हालांकि इन दिनों पाकिस्तान पस्त है, लेकिन इसकी उम्मीद कम है कि वह कश्मीर समस्या के समाधान में सहयोग करने के लिए तैयार होगा। इन स्थितियों में मोदी सरकार को अपने स्तर पर ही कश्मीर को शांत करने की कोशिश करनी होगी।

अगर घाटी में अमन-चैन कायम हो गया तो एक तो पाकिस्तान के लिए वहां हस्तक्षेप करना कठिन हो जाएगा और दूसरे भारत को अपनी अन्य समस्याओं के समाधान के लिए ज्यादा समय एवं संसाधन मिल जाएंगे। चूंकि कश्मीर में शांति की स्थापना भारत के साथ-साथ दक्षिण एशिया को भी एक नया माहौल प्रदान करने वाली साबित होगी इसलिए इस दिशा में हर संभव कदम उठाए जाने चाहिए।