करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी राज्य में बिजली आपूर्ति और गुणवत्ता बनाए रखने के उद्देश्य से विभाग द्वारा देनदार उद्योगपतियों और होटलों के कनेक्शन को काट दिया जाना सही दिशा में उठाया गया कदम है। विभाग ने पिछले दो दिनों में करीब दो सौ कनेक्शन काट कर करोड़ो रुपये के देनदारों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इन बकायेदारों से दो दिनों में साढ़े छह करोड़ रुपये वसूल हो पाए हैं। पिछले कुछ माह के दौरान उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह जिनके पास बिजली विभाग भी है, ने बिजली चोरी रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने बिजली ढांचे में सुधार लाने के लिए चौदह सौ करोड़ रुपये से अधिक का खर्चा किया है, लेकिन बिजली कटौती और उसकी गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हो पाया है। इसका एक बड़ा कारण बिजली चोरी है, जो रुकने का नाम नहीं ले रही। अगर दो दिनों के अंदर जम्मू शहर के उद्योगपतियों और होटल मालिकों से साढ़े छह करोड़ रुपये वसूले जा सकते हैं तो सरकारी विभागों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए, जिन पर करोड़ों रुपये की देनदारी है। बेशक पूर्ववर्ती नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की सरकार राज्य के सभी विभागों की साल दर साल से चली आ रही बकायेदारी को शून्य कर दी थी, लेकिन उसके बाद भी कई विभाग ऐसे हैं, जो बिजली तो फूंक रहे हैं पर किराया देने में वे फिसड्डी साबित हो रहे हैं। पिछले कुछ माह में आम उपभोक्ताओं पर दबाव बना है, लेकिन वसूली के लिए विभाग को अभी बहुत कुछ करना है। विभाग के अधिकारी स्वार्थ से उपर उठकर इच्छाशक्ति से काम करें तो बिजली विभाग खर्चे की भरपाई कर सकता है। बिजली का भुगतान न करने वालों के कारण ईमानदारी से बिल देने वालों को गुणवत्ता युक्त बिजली नहीं मिले तो यह उनसे अन्याय होगा। सरकार को चाहिए कि वह उन इलाकों में इनसुलेटिड तार लगाए जहां पर बिजली चोरी अधिक है। लोगों को भी चाहिए कि वे बिजली का इस्तेमाल मितव्ययता से करें और समय पर बिजली बिलों का भुगतान करें।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]