गुरदासपुर में अदालत ने तो परीक्षा देकर लौट रही छह स्कूली छात्रओं पर तेजाब फेंकने वाले दो दोषियों को सजा देकर अपने कर्त्तव्य का निर्वहन कर दिया है परंतु अब राज्य सरकार व प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारी का सख्ती के साथ निर्वहन करना चाहिए। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने देश में बढ़ रहे तेजाबी हमलों को लेकर दायर हुई एक जनहित याचिका पर व्यवस्था देते हुए देशभर में खुलेआम बाजारों में तेजाब बेचने पर प्रतिबंध लगाया था। यहां तक कि उद्योगों में भी तेजाब की सप्लाई के लिए लाइसेंस जारी करने के आदेश दिए थे। ताकि तेजाब का कहीं पर भी दुरूपयोग न हो पाए।

परंतु यह सरकार व प्रशासन के लिए चिंतन व मंथन का विषय है कि क्या शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पंजाब में तेजाब की खुलेआम बिक्री हो रही है या नहीं? जहां तक जमीनी हकीकत की बात है तो पंजाब में शायद ही कोई ऐसा बड़ा बाजार होगा जहां पर तेजाब बिना किसी रोक-टोक या डर के न बिक रहा हो। मसलन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को भी धरातल पर लागू करवाने में हमारी सरकारी एजेंसियां पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो रही हैं। लचर प्रशासनिक व्यवस्था के कारण ही जब कोई तेजाब कांड हो जाता है तो हमारे नेता व प्रशासनिक अधिकारी पीड़ितों को सांत्वना देने के लिए उनके घरों पर पहुंच जाते हैं और तेजाब पर सख्ती का झूठा नाटक रचते हैं। क्यों सभी सांप निकलने के बाद लकीर पीटने का काम करते हैं? क्यों सभी हादसे का इंतजार करते हैं? क्यों नहीं उससे पहले उस बीमारी का इलाज करते जिससे दिक्कत है? सरकार व प्रशासन को चाहिए कि वह पूर्व में हुए एसिड अटैक से सबक लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना राज्य में सख्ती के साथ करवाए।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]