अर्थव्यवस्था के कोरोना से उबर आने के चलते यह स्पष्ट था कि इस बार का आम बजट कुछ भिन्न होगा। अंततः ऐसा ही हुआ। मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट प्रस्तुत करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यह स्पष्ट किया कि इस वर्ष नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष आम चुनाव होने के बाद भी सरकार लोकलुभावन राजनीति से दूर रहेगी। यह इसलिए उल्लेखनीय है, क्योंकि कुछ राजनीतिक दल रेवड़ी संस्कृति को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं। ऐसे समय मोदी सरकार ने यह तय किया कि वह रेवड़ी संस्कृति को बल देने के स्थान पर देश के समुचित विकास को वरीयता देगी।

यह बजट इस ओर केवल संकेत ही नहीं कर रहा, बल्कि आने वाले 25 वर्षों में देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को रेखांकित भी करता है। बजट के माध्यम से यह साफ संदेश दिया गया है कि सरकार विकास दर के साथ खपत बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए उसने आधारभूत ढांचे को विकसित करने हेतु बजट आवंटन बढ़ा 10 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक है। स्पष्ट है कि यह कदम न केवल आवश्यक आधारभूत ढांचे का निर्माण करने में सक्षम होगा, बल्कि विकास को बल देने के साथ रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में भी सहायक होगा।

अमृत काल में आए बजट की एक अच्छी बात यह भी है कि सरकार ने राजकोषीय ढांचे को सीमित रखते हुए आधारभूत ढांचे के निर्माण को बल देने के साथ ही शहरी ढांचे को सुदृढ़ करने पर भी ध्यान दिया है। इसके लिए नगर निकायों को म्युनिसिपल बांड के जरिये वित्तीय मामले में आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया गया है। इस संदेश को सही तरह ग्रहण किया जाना चाहिए, क्योंकि शहर अर्थव्यवस्था के इंजन होते हैं। तमाम चुनौतियों के बाद भी बजट के जरिये मध्य वर्ग को कर राहत देने के लिए जो कदम उठाए गए, वे यही संदेश दे रहे हैं कि सरकार सबका साथ-सबका विकास के अपने मंत्र को लेकर सचेत है।

इसी तरह प्रधानमंत्री कौशल विकास की नई योजना के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति संवारने वाले कदम उठाकर सरकार ने यह भी बताया कि वह देश के विकास में सबकी भागीदारी बढ़ाना चाहती है। वास्तव में इसके बिना बात भी नहीं बनने वाली। आम बजट ग्रामीण विकास और शहरी विकास के साथ जिस तरह सामाजिक विकास पर भी केंद्रित है, उससे यह साफ होता है कि सरकार ने जन कल्याण सुनिश्चित करने के साथ विकास को नई ऊंचाई पर ले जाने की कोशिश की है। इस कोशिश को कामयाब बनाने के लिए यह आवश्यक है कि बजट घोषणाओं को जमीन पर उतारने के लिए अतिरिक्त ध्यान दिया जाए। एक बेहतर बजट वही होता है, जिसकी घोषणाओं पर सही तरह अमल किया जाए।