प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रोजगार मेले में लगभग 71 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र प्रदान करके अपने उस संकल्प को आगे बढ़ाया जिसके तहत उन्होंने एक वर्ष में दस लाख नौकरियां देने का वचन दिया था। अब तक पांच रोजगार मेलों का आयोजन हो चुका है। इन मेलों में जितने नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए हैं उससे यह आशा बंधती है कि निर्धारित कार्यकाल में दस लाख लोगों को नौकरियां देने का लक्ष्य आसानी से पूरा कर लिया जाएगा।

नि:संदेह एक वर्ष में दस लाख सरकारी नौकरियां कम नहीं होतीं, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि और अधिक नौकरियों की आवश्यकता है। इसके साथ ही यह भी समझा जाना चाहिए कि इस आवश्यकता को केवल सरकारी तंत्र पूरा नहीं कर सकता। निजी क्षेत्र को भी बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार देने में समर्थ बनना होगा। केंद्र सरकार को यह देखना चाहिए कि निजी क्षेत्र रोजगार के और अधिक अवसर सृजित करने की सामर्थ्य कैसे पैदा करे।

इस मामले में केंद्र की तरह से ही राज्य सरकारों को भी सक्रियता दिखानी होगी। निश्चित रूप से उन राज्यों को अधिक सक्रिय होना होगा जहां उद्योग-धंधों का विस्तार अपेक्षित गति से नहीं हो पा रहा है। उचित यह होगा कि राज्य सरकारों के बीच नए-नए उद्योग-धंधे स्थापित करने और इसके साथ ही निवेशकों को आकर्षित करने की होड़ कायम हो। अभी यह होड़ कुछ ही राज्यों के बीच दिख रही है।

नौकरी चाह रहे युवाओं को रोजगार देने के लिए जहां यह आवश्यक है कि उद्योगों का तेजी के साथ विस्तार हो वहीं यह भी जरूरी है कि युवाओं को कौशल विकास से लैस करने के जो कार्यक्रम चल रहे हैं उन्हें सही तरीके से जमीन पर उतारा जाए। युवाओं को हुनरमंद बनाने की आवश्यकता इसलिए पड़ रही है, क्योंकि उनकी शिक्षा उन्हें किसी विशेष कौशल से समृद्ध नहीं कर पा रही है। आखिर हमारी शिक्षा युवाओं को शिक्षित करने के साथ उनमें कौशल विकास का भी काम क्यों नहीं कर पा रही है।

एक प्रश्न यह भी है कि शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन में अभी कितना समय लगेगा। यह ठीक है कि नई शिक्षा नीति पर अमल किया जा रहा है, लेकिन उसमें और तेजी लाने और उसे इस रूप में विकसित करने की आवश्यकता है कि हमारे युवा पढ़ाई करने के साथ किसी क्षेत्र में कुशलता भी हासिल करें ताकि रोजगार के अवसरों को आसानी से भुना सकें।

इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि विभिन्न औद्योगिक संगठन यह शिकायत करते रहे हैं कि उन्हें उनकी आवश्यकता के अनुरूप युवा नहीं मिल पा रहे हैं। यह स्वाभाविक ही है कि प्रधानमंत्री ने पांचवें रोजगार मेले के अवसर पर 16 मई 2014 की तिथि का भी स्मरण किया, क्योंकि नौ वर्ष पहले इसी दिन लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में नतीजे आए थे। प्रधानमंत्री ने यह सही कहा कि नौ वर्षों में देश में विभिन्न क्षेत्रों में विकास के उल्लेखनीय काम किए हैं, लेकिन उन्हें यह भी आभास होना चाहिए कि समय के साथ देश की अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं।