आज की पीढ़ी को अपने इस आन-बान-शान वाले इतिहास से परिचित कराना जरूरी है। इसलिए सरकार का यह कदम सराहनीय है।
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सारागढ़ी शहीदों की 120वीं बरसी पर फिरोजपुर में जिस तरह पहली बार अच्छा राज्यस्तरीय आयोजन किया गया और इस मौके पर स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने एलान किया कि राज्य के स्कूल-कालेजों में इन वीरों की शौर्यगाथा पढ़ाई जाएगी, वह एक अच्छी पहल है। यह कहने में कोई संकोच नहीं कि सारागढ़ी के शहीदों के प्रति यह सम्मान व आदर कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह की व्यक्तिगत पहल का नतीजा है। वह इसलिए क्योंकि खुद फौज में रहे अमङ्क्षरदर सिंह ने सारागढ़ी की जंग पर किताब लिखी है और उसमें विस्तार से बताया है कि किस तरह 1897 में सारागढ़ी में 21 सिख जवानों ने 10 हजार से ज्यादा अफगान सैनिकों का अदम्य वीरता के साथ सामना किया था। सच तो यही है कि सारागढ़ी के शहीदों की यह वीरगाथा अब तक आमजन तक बहुत कम पहुंची है। पंजाब के इतिहास की जो जानकारी रखते हैैं, वह जरूर इससे वाकिफ हैैं लेकिन कैप्टन की पुस्तक व ïउसके रिलीज के लिए हुए कार्यक्रमों से सारागढ़ी के शहीदों की कहानी को प्रचार मिला है। आज की पीढ़ी को अपने इस आन-बान-शान वाले इतिहास से परिचित कराना जरूरी है। इसलिए सरकार का यह कदम सराहनीय है। इन शहीदों के प्रति यह सम्मान बरकरार रहे, बढ़ता रहे, इसके लिए इस तरह के प्रयासों की और भी जरूरत है। साथ ही जरूरत यह भी है कि जो घोषणाएं की गई हैैं उन पर शिद्दत से अमल हो। सिद्धू ने कल कहा है कि एक साल में इस कार्य को कर लिया जाएगा ताकि नए सत्र से पाठ्यक्रम में इसे शामिल कर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया जा सके। अगर ऐसा वाकई होता है तो यह और भी अच्छी बात है। ऐसा कई बार होता आया है कि सरकारें एलान तो कर देती हैं लेकिन उस पर अमल होने में या तो समय लग जाता है या फिर होता ही नहीं। इस मामले में ऐसा कतई नहीं होना चाहिए, बल्कि सरकार को चाहिए कि पंजाब से संबंधित ऐसी और जितनी भी शौर्य गाथाएं हैैं उन्हें प्रचारित-प्रसारित करने के लिए ज्यादा प्रयत्न करे। इनसे संबंधित पुस्तकों के लेखन, फिल्मों-डाक्यूमेंटरी के निर्माण, प्रदर्शनियों इत्यादि को बढ़ावा दिया जाए। इनमें प्रयासरत लोगों को प्रोत्साहन व पहचान मिलनी चाहिए। यह अपेक्षा की जा सकती है कि इस दिशा में और कदम आगे बढ़ेंगे। ऐसा भी न हो कि सारागढ़ी का यह कार्यक्रम केवल इसी साल होकर रह जाए, हर साल इसी तरह शहीदों की याद में मेले लगने चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]