बिल्डरों पर लगाम
रियल स्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी कानून यानी रेरा लागू होने के बाद भी बिल्डरों की मनमानी कम नहीं हो रही।
रियल स्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी कानून यानी रेरा लागू होने के बाद भी बिल्डरों की मनमानी कम नहीं हो रही। नियमों को दरकिनार कर बिल्डर अब भी खरीदारों को सुपर एरिया के अनुसार घर बेच रहे हैं। ग्राहकों को कारपेट और सुपर एरिया की सही जानकारी भी नहीं दी जा रही है। इस कारण लाचार ग्राहकों को अधिक स्टांप ड्यूटी भरनी पड़ रही है। बिल्डरों द्वारा योजनाओं को आधा-अधूरा छोड़ देना सबसे बड़ी समस्या है, जिससे समय से घर नहीं मिल पाते और फिर उनकी लागत बढ़ जाती है। अधिकतर अपार्टमेंट में पार्किग की भी समस्या बनी रहती है। यह तो सरकार का सही कदम है कि अपने सपनों का घर खरीदने वालों के लिए वह खरीद प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाना चाहती है लेकिन, सवाल अब भी है कि क्या फ्लैट खरीदने वाले ग्राहकों के हित संरक्षित रखते हुए बिल्डरों की मनमानी रुक सकेगी। यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री आम लोगों की इस परेशानी को समझते हैं। उनका यह आश्वासन राहत देता है कि सरकार घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने मंत्री समूह का गठन भी कर दिया है। बिल्डरों पर लगाम लगाने और जवाबदेही तय करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक वेबसाइट भी लांच की है, जिस पर ग्राहक अपनी समस्या बता सकते हैं। बिल्डर्स को भी रेरा के पोर्टल पर अपना ब्योरा दर्ज कराने को कहा गया है।
ग्राहकों को मकान खरीदते समय सावधान रहने की जरूरत है। सबसे पहले ग्राहकों को बिल्डर द्वारा दिये गए प्रॉपर्टी के दस्तावेजों की जांच कराना बहुत महत्वपूर्ण होता है। सही दस्तावेज से ही आपका धन सुरक्षित रहेगा। धोखाधड़ी के अधिकतर मामले दस्तावेजों में हेराफेरी करके ही होते हैं। प्रोजेक्ट और बिल्डर की जानकारी के साथ फ्लैट का कारपेट एरिया, सुविधाएं और कीमत का आकलन बहुत जरूरी होता है। बिल्डर की विश्वसनीयता परखने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि उसके पुराने प्रोजेक्ट की जानकारी कर ली जाए। वहां रह रहे लोगों से बात की जाए कि उन्हें कोई समस्या तो नहीं है। प्रॉपर्टी खरीदने से पहले ऐसी छोटी सावधानियां ग्राहकों का भविष्य सुरक्षित रख सकती है।
[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]