देश सहित हिमाचल में निर्मित दवाओं के सैंपल फेल होने से साफ है कि लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। बार-बार सैंपल फेल होने वाले उद्योगों पर रोक लगनी चाहिए
उत्तर भारत में दवाओं के उत्पादन में हिमाचल सबसे आगे है। फार्मा उद्योग सबसे अधिक सोलन जिले के बद्दी में स्थापित किए हैं जबकि कुछ सिरमौर और कांगड़ा जिले में भी हैं। सोलन में कई नामी कंपनियां अपनी दवाओं के उत्पाद तैयार करती हैं। कांगड़ा जिले के औद्योगिक क्षेत्र संसारपुर टैरेस में भी दवा उद्योग स्थापित किए गए हैं। किसी भी उद्योग की विश्वसनीयता उसके उत्पाद के आधार पर ही होती है, लेकिन यह चिंता का विषय है कि हिमाचल में बनने वाली दवाओं के छह सैंपल मानकों के अनुरूप सही नहीं पाए गए हैं। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन की ओर से देश भर में कई दवाओं के सैंपल लिए गए थे, जिनमें से 37 दवा उद्योगों के सैंपल फेल पाए गए हैं। इनमें से छह दवा उद्योग हिमाचल के भी शामिल हैं। विडंबना यह है कि इनमें सर्दी व बुखार के लिए सर्वाधिक बिकने वाली पैरासिटामोल दवा भी मानकों पर खरा नहीं उतर पाई है। देश के तीन नामचीन उद्योगों में निर्मित दवा के पांच सैंपल फेल पाए गए हैं। इसके अलावा कब्ज, कैंसर, बैक्टीरियल इन्फेक्शन में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी मानकों के अनुरूप सही नहीं पाई गई हैं। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन ने देशभर में ड्रग अलर्ट जारी कर सूचित किया है और खराब पाई गई दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा देशभर से इस स्टॉक को वापस मंगवाने का आदेश भी जारी किया गया है। सर्दी-बुखार जैसी ऐसी दवाओं का रोजना अधिक लोग इस्तेमाल करते हैं, ऐसी दवा में खोट होना सीधे-सीधे लोगों की सेहत से खिलवाड़ है। हालांकि केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन की ओर से अलर्ट जारी होने के बाद राज्य दवा नियंत्रक की ओर से संबंधित सभी दवा उद्योगों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। नोटिस के माध्यम से जवाब भी मांगा गया है, लेकिन सवाल यह है कि दवा जैसे संवेदनशील उत्पाद के निर्माण में कोताही क्यों बरती जा रही है। दवा के सैंपल होने वाले कारकों की तलाश करके इस दिशा में कदम उठाने की पहल की जाए, ताकि बार-बार इस तरह के मामले सामने न आएं। सैंपल फेल हुए दवाओं के बैच को भी वापस लाने का आदेश दिया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसकी निगरानी कौन कर रहा है। लोग भी इस तरह की दवा को कैसे पहचान पाएंगे। स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ दवा नियंत्रक की ओर से जब तक इस मामले में सख्ती नहीं बरती जाएगी तब तक इस तरह की लापरवाही सामने आती रहेगी।

[ स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश ]