किसानों को उनके परिश्रम के लिए न सिर्फ उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो, अपितु सार्वजनिक मंचों से उन्हें पुरस्कृत करके उनका हौसला भी बढ़ाया जाए।

यह हर्ष का विषय है कि पंजाब इस बार देश भर में चावल के उत्पादन में अव्वल रहा। गत दिवस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसके लिए प्रदेश को सम्मान प्राप्त हुआ, जो निश्चित रूप किसानों के उत्साहवर्धन में कारगर साबित होगा। पंजाब को हालांकि गेहूं उत्पादक प्रदेश के रूप में जाना जाता है और राज्य ने देश के अन्न भंडारण में बड़ा योगदान दिया है। 

निस्संदेह यह अच्छी बात है कि अब प्रदेश के किसान गेहूं से इतर धान उत्पादन पर भी ध्यान दे रहे हैं। अभी कुल खाद्यान्न के पैदावार में पंजाब कुछ पीछे है, लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि इस दिशा में भी सुधार दिखेगा। हालांकि प्रदेश के किसानों के परिश्रम और प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाने वाले भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। गत दिवस फाजिल्का में ऐसा ही एक मामला सामने आया। यहां एक स्थानीय शैलर में रखे मार्कफैड के चार करोड़ रुपये का धान खुर्दबुर्द कर दिया गया।

बेशक धान की 56 हजार बोरी खुर्दबुर्द होने पर मार्कफैड के दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया परंतु यह चिंता व दुख की बात है कि एक तरफ किसान अपने मेहनत से राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग हैं जो उनका हौसला तोड़ने की कोशिशें कर रहे हैं। सरकार को यह देखना होगा कि जो भी किसान हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें सख्त से सख्त सजा मिले। इसके अतिरिक्त किसानों को उनके परिश्रम के लिए न सिर्फ उपज का उचित मूल्य मिले, अपितु सार्वजनिक मंचों से उन्हें पुरस्कृत भी किया जाए। ऐसे प्रयासों से ही अन्नदाता को प्रोत्साहित किया जा सकता है, जोकि वर्तमान परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]