अवैध खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की ही जानी चाहिए लेकिन इसके साथ ही इस पर भी ध्यान देना जरूरी है कि रेत के दाम नियंत्रण में रहें।

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पंजाब सरकार की ओर से अवैध रेत खनन के खिलाफ सख्ती दिखाते ही रेत के दाम आसमान छूने लगे हैं और आम जनता की मुट्ठी से रेत फिसल रही है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को चंडीगढ़ से जालंधर जाने के दौरान हेलीकॉप्टर से नवांशहर व लुधियाना क्षेत्र में सतलुज दरिया में हो रहे अवैध खनन को देखा था। इसके बाद उन्होंने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए और पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया। बड़े पैमाने पर रेत खनन में इस्तेमाल की जा रही मशीनरी जब्त कर कई गिरफ्तारियां की गईं। प्रशासन की सख्त कार्रवाई के बाद अवैध खनन पर तो फिलहाल काफी हद तक रोक लग गई है लेकिन दहशत के कारण कानूनी तरीके से भी खनन लगभग बंद हो गया है। इसका नाजायज फायदा रेत बेचने वाले उठा रहे हैं।

कारोबारियों ने रेत की जमाखोरी शुरू कर दी है। इससे रेत के दामों में तीन सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपये प्रति ट्राली तक उछाल आ गया है। अकाली-भाजपा सरकार के समय कंस्ट्रक्शन कारोबार में काफी गिरावट आई थी जिसकी वजहों में महंगी रेत भी प्रमुख थी। जनता ने उम्मीद लगा रखी थी कि प्रदेश में कांग्र्रेस सरकार बनने पर कंस्ट्रक्शन के कार्यों में तेजी आएगी और महंगी रेत की समस्या से छुटकारा मिलेगा। दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो सका है और मौजूदा समय की बात करें तो रेत महंगी होने के कारण जनता की परेशानी और बढ़ गई है। ऐसा तब है जब सरकार ने वादा किया था कि जनता को महंगी रेत की समस्या से निजात दिलाई जाएगी। अवैध खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की ही जानी चाहिए लेकिन इसके साथ ही यह भी ख्याल रखना जरूरी है कि आम जनता न पिसने पाए। सरकार को कोई ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे रेत कारोबारी जमाखोरी करके मनमानी कीमत न वसूल पाएं। सरकार व प्रशासन की किसी भी कार्रवाई का खामियाजा जनता भुगते, यह उचित नहीं है।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]