करीब 15 वर्ष पहले कलकत्ता हाईकोर्ट की एकलपीठ ने बड़ी सड़कों को जामकर सभा व रैली आयोजित करने पर रोक लगाई थी। परंतु, जुलूस व सभा बंद नहीं हुए। इसके बाद गुरुवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने बड़ी सड़कों को जामकर जुलूस व सभा पर प्रतिबंध लगा दिया। हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद भी क्या बड़ी सड़कों को बंद कर सभा व जुलूस के आयोजन पर रोक लगेगी? क्योंकि, हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि कहीं भी रैली या सभा की वजह से कोई रास्ता बंद नहीं होना चाहिए। रास्ते का एक हिस्सा खुला रख कर ही सभा व जुलूस का आयोजन करना होगा। कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य व न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने पुलिस-प्रशासन को इस पर विशेष नजर रखने का आदेश दिया है। यहां बताते चलें कि 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी ने कहा था कि जुलूस व सभा से कोलकाता में सड़क जाम न हो इसके लिए सभी दलों के साथ बातचीत की जाएगी। परंतु, देखा जा रहा है कि कोलकाता ही नहीं राज्य में रैली व सभा के लिए रास्ते बंद करने की घटना आम है। जुलूस व सभा के लिए सड़कें बंद कर दी जाती हैं।

2015 में जुलूस व सभा से होने वाले सड़क जाम से मुक्ति के लिए अधिवक्ता ऋतुपर्णा सरकार ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद हाइकोर्ट ने रैली व सभा की वजह से रास्ते बंद नहीं करने का आदेश दिया था, लेकिन उसका पालन अब तक नहीं हुआ। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता श्रीकांत दत्त ने कहा कि महानगर में सभा व रैली तो वैसे रोज की बात है और इससे शहर का जनजीवन रुक सा जाता है। उन्होंने इस संबंध में पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने हाइकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर के समय मामले में हुई कार्रवाई पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने कार्यकारी दिवसों में पुलिस को किसी भी प्रकार की रैली व सभा के आयोजन की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया था। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक गंभीर समस्या है। इसका समाधान जरूरी है। उन्होंने पुलिस प्रशासन को कहीं भी रैली व सभा की वजह से कोई रास्ता बंद नहीं हो यह सुनिश्चित करने निर्देश दिया है।

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]