आधार का विरोध
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुछ क्षेत्रों में आधार की अनिवार्यता का विरोध करती रही हैं मंत्री भी उनके पथ का अनुसरण करने लगे हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुछ क्षेत्रों में आधार की अनिवार्यता का विरोध करती रही हैं लेकिन अब उनके मंत्री भी उनके पथ का अनुसरण करने लगे हैं। राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने घोषणा की है कि बंगाल में राशन कार्ड को आधार से जोडऩा अनिवार्य नहीं होगा। उनका तर्क है कि किसी परिवार में जहां 8-10 सदस्य होंगे उन्हें राशन उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में वह आधार को राशन कार्ड से जोडऩे की जरूरत नहीं समझते। सभी को राशन उपलब्ध कराने की खाद्यमंत्री की योजना सराहनीय है इसमें दो राय नहीं है। लेकिन सवाल है कि इसमें आधार कार्ड कहां से बाधक बन गया? खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सभी को राशन पाने का अधिकार है।
मल्लिक को यह पता होगा कि देश में खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के लिए भारत सरकार खाद्य पर भारी सब्सिडी देती है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सभी को खास कर गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को सस्ते दर पर राशन प्राप्त करने का अधिकार है। जाहिर है सब्सिडी के आधार पर सस्ते दर पर राशन पाने के लिए राशन कार्ड को आधार से जोडऩा जरूरी है। पूरे देश में सब्सिडी के तहत राशन पाने के लिए आधार कार्ड को जरूरी माना जा रहा है। अब राज्य में ममता बनर्जी की सरकार इसका भी विरोध कर रही है तो इसे भी राजनीतिक विरोध ही मानना पड़ेगा।
वैसे नोटबंदी से लेकर जीएसटी और केंद्र के अन्य किसी भी निर्णय के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उठ खड़ी होती हैं। अब उनके मंत्री भी उनका अनुसरण करने लगे हैं। पूरे देश में जब कोई योजना लागू करने की प्रक्रिया चल रही है तो उसमें भ्रम की स्थिति पैदा करना कहां तक उचित है।
मुख्यमंत्री ने इसके पहले स्पष्ट कहा था कि वह अपने मोबाइल नंबर को आधार कार्ड से युक्त नहीं करेंगी। इसके लिए भले ही उनके मोबाइल नंबर की लाइन ही क्यों न काट दी जाए। मोबाइल नंबर को आधार कार्ड से नहीं जोडऩा और राशन कार्ड को आधार से जोडऩे को अनिवार्य बनाने में अंतर है। मोबाइल फोन की सेवा पर सरकार कोई सब्सिडी नहीं देती है लेकिन गरीबों को सस्ती दर राशन देने में केंद्र सब्सिडी के तौर पर भारी राशि खर्च करती है। इसलिए राशन कार्ड से आधार को जोडऩा जरूरी है।
हाईलाइटर::(सभी को राशन उपलब्ध कराने की खाद्यमंत्री की योजना सराहनीय है इसमें दो राय नहीं है। लेकिन सवाल है कि इसमें आधार कार्ड कहां से बाधक बन गया?)
[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]