यह हर किसी को सुकून देने वाली खबर है कि केंद्र सरकार ने बिहार के 100 साल से अधिक पुराने कोर्ट भवनों का संरक्षण करने का निश्चय किया है। राज्य सरकार अब ऐसे भवनों की सूची तैयार करवा रही है ताकि इसे केंद्र सरकार को मुहैया कराया जा सके। बेशक इससे राज्य के प्राचीन कोर्ट भवनों व लॉयर्स चैंबर्स का संरक्षण हो सकेगा और भावी पीढिय़ों को अपनी विरासत देखने और इस पर गर्व करने का मौका मिलेगा। विश्वविख्यात नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों को कुछ महीने पहले विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया जा चुका है। राज्य सरकार अब विक्रमशिला को भी विश्व धरोहरों में शामिल करवाने का प्रयास कर रही है। दरअसल, बिहार के स्वर्णिम अतीत के अश्क प्राचीन भवनों-धरोहरों में नजर आते हैं। यह राज्य सदियों पहले शिक्षा, ज्ञान, न्याय, आध्यात्म, लोकतंत्र, संगीत और धर्म का केंद्र था। यह धारणा राज्य के हर आम-ओ-खास व्यक्ति के लिए बेहद गर्व की बात है कि किसी जमाने में बिहार का इतिहास ही दुनिया का इतिहास था। बहरहाल, इतिहास के तमाम स्वर्णिम पन्ने राज्य भर में यहां-वहां बिखरे पड़े हैं। लंबे समय तक इनकी चिंता नहीं की गई जिससे ये धूल-धूसरित हो गए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विरासत के संरक्षण को लेकर बेहद आग्रही एवं संवेदनशील हैं। कुछ समय पहले उन्होंने दो टूक घोषणा कर दी थी कि यदि पटना में मेट्रो रेल चलाने के लिए पटना सिटी इलाके की खोदाई आवश्यक होगी तो वह इसकी अनुमति नहीं देंगे। मुख्यमंत्री का मानना है कि खोदाई से पटना सिटी क्षेत्र में भूमिगत विरासत नष्ट हो सकती है। नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों को विश्व धरोहर घोषित करवाने की पहल और कवायद नीतीश कुमार ने ही की। राज्य सरकार को कोर्ट भवनों के साथ-साथ 100 साल से अधिक पुराने ऐसे सभी महत्वपूर्ण भवनों की फेहरिश्त बनवानी चाहिए जो विरासत की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। राज्य सरकार ऐसे कुछ भवनों को 100 साल पुराने कोर्ट भवनों के साथ संरक्षित करने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह कर सकती है। यदि केंद्र सरकार इस पर राजी हो जाती है तो बेहतर, अन्यथा ऐसे भवनों के संरक्षण की जिम्मेदारी खुद राज्य सरकार को लेनी चाहिए। ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व की प्राचीन इमारतों का संरक्षण पर्यटकों को आकर्षित करने की दृष्टि से भी लाभकारी है।
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बिहार के प्राचीन भवनों में राज्य का स्वर्णिम इतिहास झलकता है लेकिन यह विरासत दशकों से उपेक्षित रही। नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद इनकी खैर-खबर ली गई। अब केंद्र सरकार की पहल से पूरा परिदृश्य बदलने की उम्मीद जगी है।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]