पिछले कुछ समय से वंशवाद और भ्रष्टाचार पर प्रहार कर रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने जिस तरह स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से इन दोनों विषयों पर विस्तार से बात की, उससे यह साफ हो जाता है कि वह इन बुराइयों से निपटने और उनके खिलाफ जनमत का निर्माण करने के लिए संकल्प ले चुके हैं। इसी कारण उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भाई-भतीजावाद केवल राजनीति तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने यह तो स्पष्ट नहीं किया कि राजनीति से इतर कहां-कहां वंशवाद व्याप्त है, लेकिन सब जानते हैं कि एक लंबे अर्से से न्यायपालिका में परिवारवाद को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

वंशवाद कहीं भी हो, वह लोकतांत्रिक मूल्यों और मर्यादाओं के खिलाफ है। जैसे वशंवाद लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने का काम कर रहा है, वैसे ही भ्रष्टाचार भी। देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने जिस तरह यह कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में न्यायालयों से सजा पाए नेताओं का भी महिमामंडन करने में शर्म-संकोच नहीं किया जाता, वह हमारे समाज की एक कटु सच्चाई है। अदालतों की ओर से भ्रष्ट करार दिए गए नेताओं को किनारे करना और उन्हें राजनीतिक रूप से निष्प्रभावी करना आम जनता का नैतिक दायित्व है। आखिर इस दायित्व का निर्वहन न करने वाले देश में भ्रष्टाचार व्याप्त रहने की शिकायत कैसे कर सकते हैं?

प्रधानमंत्री ने जिस तरह वंशवाद और भ्रष्टाचार पर देश की जनता को चेताया, वैसे ही उन्होंने अन्य मामलों और विशेष रूप से महिलाओं के प्रति लोगों को अपना नजरिया बदलने के लिए प्रेरित किया। यह एक ऐसी जरूरी बात है, जिसका प्राथमिकता के आधार पर पालन होना चाहिए, क्योंकि ऐसा करके ही हम नारी के प्रति सम्मान दर्शाने की अपनी प्रतिबद्धता को सही साबित कर सकते हैं। आशा की जानी चाहिए कि प्रधानमंत्री की यह बात वैसे ही असर करेगी, जैसे स्वच्छ भारत अभियान संबंधी उनकी अपील ने छाप छोड़ी।

प्रधानमंत्री ने लोगों से भारत को विकसित देश बनाने, पराधीनता का कोई अंश बचने न देने, अपनी विरासत पर गर्व करने और एकजुटता का परिचय देने के साथ नागरिक कर्तव्यों के निर्वहन का संकल्प लेने को भी कहा। उन्होंने इन पांच संकल्पों को भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के मूल मंत्र के तौर पर प्रस्तुत किया। वास्तव में यदि हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं तो हमें अपना सोच और अपने तौर-तरीके बदलने होंगे। जब प्रधानमंत्री देश को बदलने और आगे ले जाने के लिए संकल्प व्यक्त कर रहे हैं तो फिर देश की जनता का भी यह दायित्व बनता है कि वह अपने हिस्से के संकल्प ले।