राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सांसदों की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से यह कहा जाना एक तरह से समय की मांग को पूरा करना है कि उनकी सरकार अब अल्पसंख्यकों का भी भरोसा हासिल करेगी। ऐसा किया जाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि भाजपा की प्रचंड जीत के बाद यह माहौल बनाने की कोशिश हो रही है कि अब अल्पसंख्यकों की समस्याएं बढ़ने वाली हैं। यह माहौल केवल भारतीय मीडिया के ही एक हिस्से की ओर से नहीं बनाया जा रहा है, बल्कि विदेशी मीडिया की ओर से भी बनाया जा रहा है। सबसे खराब बात यह है कि ऐसा करते हुए अल्पसंख्यकों और खासकर मुसलमानों को भयभीत करने की भी दुष्चेष्टा हो रही है। इसमें आम तौर पर खुद को लिबरल और सेक्युलर कहने वाले लोग शामिल हैं। मोदी सरकार के प्रति अंध विरोध से भरा यह विशिष्ट वर्ग यह भी स्थापित करने में जुटा हुआ है कि लोगों को बहकाकर जनादेश का हरण कर लिया गया है।

अपनी बौद्धिकता के अहंकार में घोर असहिष्णुता का परिचय दे रहे इस वर्ग की परवाह न करते हुए मोदी सरकार को यह देखना होगा कि वे घटनाएं कैसे थमें जिनकी आड़ लेकर यह प्रचारित करने की कोशिश की जाती है कि मुस्लिम समाज के प्रति उग्र हिंदू संगठनों का उत्पात बढ़ रहा है। यह काम किस सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है इसका ताजा उदाहरण है मध्य प्रदेश की वह घटना जिसमें कथित गौ रक्षकों ने कुछ मुस्लिमों की पिटाई इस संदेह में की कि उनके पास गोमांस है। यह शर्मनाक घटना 22 मई की है, लेकिन दुष्प्रचार यह किया गया कि भाजपा की जीत के बाद बेलगाम हिंदू संगठनों का उत्पात शुरू हो गया। हालांकि यह घटना कांग्र्रेस शासित राज्य की है, लेकिन उसके लिए मोदी सरकार को ही जवाबदेह बनाया जा रहा है।इसमें कोई दोराय नहीं कि कानून एवं व्यवस्था राज्यों का विषय है, लेकिन इसके बावजूद मोदी सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बेलगाम गौ रक्षकों का उत्पात थमे। ऐसा करके ही मुस्लिम समाज का ध्यान इस ओर खींचा जा सकता है कि मोदी सरकार उनके भी कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। इस प्रतिबद्धता के प्रमाण भी हैं।

इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता कि मोदी सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मुस्लिम समाज को भी मिला है। रसोई गैस सिलेंडर, आवास, शौचालय और बिजली उपलब्ध कराने वाली योजनाएं बिना किसी भेदभाव उन तक पहुंची हैं, लेकिन इन योजनाओं के मुकाबले मुस्लिम समाज के बीच यह दुष्प्रचार अधिक असरदार दिखता है कि भाजपा और संघ उन्हें हाशिये पर ले जाना चाहते हैं। यह दुष्प्रचार उन लोगों की ओर से जानबूझकर किया जा रहा है जिनका मकसद मुस्लिम समाज को बरगलाकर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करना है। चूंकि ऐसा लगता नहीं कि ऐसे लोग मुसलमानों को गुमराह करने से बाज आने वाले हैं इसलिए मोदी सरकार को और अधिक सतर्क रहना होगा। इसी के साथ यह भी अपेक्षित है कि मुस्लिम समाज जमीनी हकीकत देखने की कोशिश करे। उसे यह सोचना होगा कि आखिर कोई सरकार इतने बड़े समुदाय की अनदेखी कर देश को आगे ले जाने का काम कैसे कर सकती है?

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