प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में जो कुछ कहा उसमें बहुत कुछ उल्लेखनीय है, लेकिन जो सर्वाधिक उल्लेखनीय है वह यह कि उन्होंने बढ़ती आबादी की चुनौतियों को रेखांकित करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि वे जनसंख्या नियंत्रण के उपायों के बारे में भी सोचें। प्रधानमंत्री ने जिस तरह सीधे-सपाट शब्दों में कहा कि छोटा परिवार रखना भी अपनी देशभक्ति प्रकट करने का तरीका है और हर किसी को यह सोचना चाहिए कि जो शिशु धरती पर आने वाला है उसकी आवश्यकताएं कैसे पूरी की जाएंगी, उस पर सभी को ध्यान देने की आवश्यकता है। यह ऐसा विषय है जो किसी नियम-कानून से अधिक जनजागरूकता से ही हल होगा। देशहित से जुड़े ऐसे विषयों पर संकीर्ण राजनीति की कहीं कोई गुंजाइश नहीं हो सकती।

यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने देश के उद्योग जगत को यह भरोसा दिलाया कि उसे किसी तरह की आशंका रखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार देश के विकास में योगदान देने और रोजगार के अवसर पैदा करने वाले उद्यमियों को मान-सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह भरोसा इसलिए जरूरी था, क्योंकि उद्योग जगत ही देश की संपदा बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है, लेकिन अनेक राजनीतिक दल ऐसे हैं जो सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए उद्यमियों-उद्योगपतियों के प्रति लोगों को बरगलाने का काम करते हैं।

लाल किले से प्रधानमंत्री का संबोधन कुल मिलाकर अगले पांच साल के लिए देश के भावी पथ की तस्वीर बयान करता है। अपने संदेश में उन्होंने विकास के प्रति प्रचलित धारणाओं को बदलने पर तो जोर दिया ही, यह भी साफ किया कि सुधार के लिए साहसिक कदमों का सिलसिला और तेज होगा। एक ऐसा ही सुधार पूरे देश में एक साथ चुनाव के रूप में हो सकता है, जिसके प्रति प्रधानमंत्री ने एक बार फिर अपना संकल्प व्यक्त किया है।

यदि लोकसभा और राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का मार्ग प्रशस्त होता है तो यह एक क्रांतिकारी बदलाव ही होगा। देश इस बदलाव का इंतजार कर रहा है, क्योंकि यह उचित नहीं कि विकास और सुशासन आए दिन आदर्श आचार संहिता की बंदिशों में कैद रहें। बेहतर हो कि राजनीतिक दल एक साथ चुनाव पर आम सहमति कायम करें। ये सहमति तभी कायम होगी जब वे चुनाव सुधारों पर अपने किंतु-परंतु का त्याग करेंगे। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआती 75 दिनों में जैसे ऐतिहासिक फैसले लिए हैं उससे यह भरोसा मजबूत होता है कि लाल किले से प्रधानमंत्री ने जो भी घोषणाएं की हैं और भावी भारत का खाका खींचा वैसा वास्तव में हो सकेगा।