राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर हुई चर्चा में विपक्षी नेताओं और विशेष रूप से राहुल गांधी ने जो आरोप लगाए थे, उनका जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह अदाणी मामले को लेकर कुछ कहने की आवश्यकता नहीं समझी, उससे उन्होंने उस शोर को शांत करने का ही काम किया, जो अदाणी समूह को लेकर मचाया जा रहा है। आम तौर पर प्रधानमंत्री विपक्ष के आरोपों का चुन-चुनकर जवाब देते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने रणनीति के तहत अदाणी मामले पर कुछ नहीं कहा। इससे उन्होंने बिना कुछ कहे यही संदेश दिया कि विपक्ष अदाणी मामले को लेकर निराधार आरोप लगा रहा है।

वास्तव में प्रधानमंत्री ने यह कहकर विपक्ष के बुने जाल में फंसने के बजाय उसके इरादों पर पानी फेर दिया कि झूठ और झूठ के हथियार से उन्हें हराया नहीं जा सकता। उनके इस कथन का कोई मतलब है तो यही कि विपक्ष जो कुछ कहने और सिद्ध करने की कोशिश कर रहा है, उसमें कोई दम नहीं। उन्होंने विपक्ष को आईना दिखाने के लिए संप्रग सरकार के समय हुए उन घोटालों का भी जिक्र किया, जो सच में हुए थे।

यह सही है कि अदाणी मामले को लेकर राहुल गांधी ने तमाम आरोप उछाले थे और प्रधानमंत्री मोदी को भी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी, लेकिन उनके आरोपों में कोई तथ्य और प्रमाण नहीं था। शायद यही कारण रहा कि उनके वक्तव्य के कुछ हिस्से संसद की कार्यवाही से हटा दिए गए। इतना ही नहीं, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने निराधार आरोपों से सदन को गुमराह करने की शिकायत करते हुए उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी दिया। यह तय है कि इस सब पर कांग्रेस यही कहेगी कि उसकी आवाज को दबाने का काम किया जा रहा है, लेकिन इसमें संदेह नहीं कि कांग्रेस अथवा अन्य विपक्षी नेता अभी तक यह ऐसा कुछ साबित नहीं कर सके हैं कि अदाणी समूह ने कोई घोटाला किया है और वह भी सरकार की सहमति से।

निःसंदेह विपक्ष की अभी भी यही कोशिश रहेगी कि अदाणी मामले को तूल देकर यह साबित किया जाए कि सरकार की मिलीभगत से कहीं कोई बड़ा घोटाला हुआ है, लेकिन जब तक नियामक एजेंसियां इस ओर कोई संकेत नहीं करतीं, तब तक उसे कुछ हासिल होने वाला नहीं है। विपक्ष अपने आरोपों को सही सिद्ध करने की चाहे जितनी कोशिश करे, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अदाणी समूह नियामक एजेंसियों के दायरे में हैं। सेबी और शेयर बाजार ने किसी कंपनी के शेयरों में एक सीमा से अधिक अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव की निगरानी के लिए जो तंत्र बनाया हुआ है, वह न केवल सक्रिय है, बल्कि अदाणी समूह की सात कंपनियों के शेयर अतिरिक्त निगरानी व्यवस्था के दायरे में भी हैं।