भाजपा को भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के कारण जिस तरह फजीहत का सामना करना पड़ रहा है उससे यही साबित होता है कि राजनीतिक फायदे के लिए जिस-तिस को गले लगाने के क्या दुष्परिणाम होते हैं? यह पहली बार नहीं है जब प्रज्ञा ठाकुर ने भाजपा को असहज किया हो। वह इसके पहले भी कई बार ऐसा कर चुकी हैं।

समझना कठिन है कि जब उन्हें पहले भी नाथूराम गोडसे के महिमामंडन के कारण शर्मसार होकर अपना बयान वापस लेना पड़ा था तब फिर उन्होंने वही गलती दोबारा क्यों की और वह भी संसद में? साफ है कि वह प्रधानमंत्री के इस कथन को भूल गईं कि वह उन्हें मन से माफ नहीं कर पाएंगे?

क्या इससे खराब बात और कोई हो सकती है कि जब मोदी सरकार महात्मा गांधी की 150वीं जयंती जोर-शोर से मना रही है तब प्रज्ञा ठाकुर को यह समझ नहीं आ रहा कि उन्हें उनके हत्यारे नाथूराम के बारे में क्या कहना चाहिए और क्या नहीं?

उन्हें शायद इससे मतलब ही नहीं कि मोदी सरकार गांधी जी को किस तरह हर स्तर पर प्राथमिकता दे रही है? यह भी हो सकता है कि उन्हें इसका आभास ही न हो कि उनकी सोच कितनी क्षुद्रता भरी है?

भाजपा को इससे चिंतित होना चाहिए कि प्रज्ञा ठाकुर जैसे कुछ और ऐसे लोग पार्टी में हैं जो दबे-छिपे स्वर में गोडसे का महिमामंडन करते हैं। ऐसे लोगों से दूरी बनाने का काम दृढ़ता से किया जाना चाहिए, ताकि यह साफ संदेश जाए कि यदि कोई गांधी जी की नीतियों से असहमत भी है तो भी उसे उनके हत्यारे के गुणगान का अधिकार नहीं।

ऐसा करना तो एक तरह से अतिवाद को समर्थन देना है। किसी अतिवादी तत्व का गुणगान एक खतरनाक प्रवृत्ति है। इस प्रवृत्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ लेने का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए। वास्तव में कैसा भी अतिवाद हो उसके विरोध की अपेक्षा हर भारतीय से की जाती है, क्योंकि यही भारत का स्वभाव है और वह इसी के लिए जाना जाता है।

 इसमें संदेह है कि प्रज्ञा ठाकुर को रक्षा संबंधी संसदीय समिति से हटाने और संसद के इस सत्र से बाहर रखने के फैसले से उस क्षति की भरपाई हो सकती है जो उनके घोर आपत्तिजनक बयान से भाजपा और सरकार को पहुंची है।

 भाजपा को यह आभास होना चाहिए कि प्रज्ञा ठाकुर सरीखे नेता केवल उसकी छवि पर पानी ही नहीं फेरते, बल्कि राजनीतिक विरोधियों को हमले का अवसर भी प्रदान करते हैं। बेहतर हो कि भाजपा इस पर गंभीरता से चिंतन-मनन करे कि राजनीतिक लाभ के लिए हर तरह के तत्वों को अपनाना कहां तक उचित है?