------------------
ब्लर्ब में
आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पिछले तीन साल में प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से ज्यादा पाया गया है। यह पहाड़ के लोगों के लिए खतरे की घंटी है
--------------------
धरती पर जीवन जल, ऑक्सीजन व पेड़ों की वजह से मुमकिन है और किसी भी सूरत में इसे दरकिनार नहीं किया जा सकता। विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले हैं, वहीं कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण भी एक ऐसा अभिशाप है, जो विज्ञान की कोख में से जन्मा है और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर है। वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण गंभीर चुनौती बनकर सामने आया है, जोकि पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रहा है। देवभूमि हिमाचल प्रदेश में प्रदूषण की समस्या से अछूती नहीं है। उद्योगों से निकलने वाली जहरीली गैसें और गाडिय़ों का धुआं जहां आबोहवा में जहर घोल रहा है वहीं नदियों व खड्डों में भी हर दिन टनों के हिसाब से गंदगी फेंकी जा रही है। इससे प्रदेश के वातावरण व जल में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। प्रदेश में पिछले तीन साल में प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से ज्यादा पाया गया है, जो पहाड़ के लोगों के लिए खतरे की घंटी है। चिंता इसलिए जरूरी है कि अगर समय रहते कदम न उठाए गए तो स्थिति नियंत्रण से बाहर भी हो सकती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में यह सच सामने आया है कि प्रदेश के 14 शहरों की हवा प्रदूषित है। प्रदूषण के कारण ही प्रदेश में सांस, दमा व हृदय रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। अस्पतालों की ओपीडी में इन रोगों से पीडि़त लोगों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जीवन को बेहतर बनाने की भीड़ में हर कोई आसान राह पर चलना अच्छा समझता है। पैदल चलना कोई नहीं चाहता, बल्कि थोड़ी दूर जाने के लिए भी वाहन का प्रयोग किया जाता है। दिनचर्या को सुगम बनाने की दौड़ में प्रकृति को होने वाले नुकसान के बारे में सोचने की फुर्सत किसी के पास नहीं है। प्रदेश में पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएं व उन्हें पेड़ों के रूप में विकसित किया जाए। साथ ही उद्योगों व वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। नदियों व खड्डों में गंदगी फेंकने की आदत छोडऩी होगी। इसके लिए लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। इस समस्या का सामना करने के लिए सभी पक्षों को योगदान देना होगा। पर्यावरण सुरक्षित होगा, तभी हम सुरक्षित होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]