ममता सरकार ने साफ कह दिया है कि वह शिक्षा का भगवाकरण नहीं होने देंगी। इसे लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने तर्क भी दिया है। उन्होंने कहा कि आए दिन केंद्र सरकार की ओर से बंगाल के स्कूल-कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए कोई न कोई निर्देश जारी किया जा रहा है। राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श किए बिना ही हाल में स्वामी विवेकानंद के शिकागो में विश्व धर्म संसद संबोधन की 125वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में लाइव प्रसारण करने का निर्देश दिया गया है। उसपर अमल करना संभव नहीं है। शिक्षा मंत्री का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के परिपत्र का पालन करने का निर्देश नहीं दिया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री के गत 11 सितंबर के संबोधन को देखने को कहा गया है। इस परिपत्र में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों से कहा गया है कि वे प्रधानंमत्री के संबोधन को देखने के लिए शिक्षकों और विद्यार्थियों को अवसर मुहैया कराएं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह शिक्षा का भगवाकरण करने का एक स्पष्ट प्रयास है। केंद्र राज्य सरकार से परामर्श किए बिना खुद ही फैसले ले रहा है। उनकी सरकार को कोई निर्देश नहीं मिला, इसलिए विश्वविद्यालयों को कोई निर्देश नहीं दिया जा सकेगा और यह खयाल कि राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का केंद्र सरकार मार्गदर्शन करेगी, यह भी राज्य सरकार से परामर्श किए बिना है और गलत है। स्वामी विवेकानंद के साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तुलना करना भी उचित नहीं है। ऐसा नहीं है कि बंगाल में पीएम मोदी या फिर केंद्र सरकार के किसी फैसले का विरोध पहली बार हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र के हरेक कदम का विरोध कर रही हैं, चाहे नोटबंदी या जीएसटी हो, या फिर स्वतंत्रता दिवस और शिक्षक दिवस को लेकर निर्देश। यही नहीं, 15 अगस्त को नए भारत को लेकर पीएम ने जब देशभर के जिला अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की थी तो ममता ने बंगाल के सभी डीएम को मना कर दिया था। सियासी विरोध अपनी जगह है। केंद्र व राज्य दोनों ही सरकारों को सोचना होगा कि विकास मिलकर ही होगा। केंद्र या अन्य कोई भी संस्थान राज्य सरकार को बिना भरोसे में लिए कोई ऐसा कदम नहीं उठाए, जिससे विवाद व विरोध की सियासत हो।
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(हाइलाइटर::: सियासी विरोध अपनी जगह है। केंद्र व राज्य दोनों ही सरकारों को सोचना होगा कि विकास मिलकर ही होगा।)

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]