पंजाब में जहरीली शराब से करीब सौ लोगों की मौत से यही पता चल रहा है कि शराब के नाम पर जहर बेचने का काम बिना किसी रोक-टोक चल रहा था। अवैध तरीके से बनाई-बेची जाने वाली शराब इसलिए अक्सर जहर का रूप धारण कर लेती है, क्योंकि ज्यादा मुनाफे के लालच में उसे बेहद हानिकारक और अखाद्य सामग्री से बनाया जाता है। आम तौर पर अवैध शराब के कारोबार से पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग के लोग अवगत ही नहीं होते, बल्कि वे उसे संरक्षण भी प्रदान करते हैं। दुर्भाग्य से यह काम देश के अन्य हिस्सों में भी होता है और इसी कारण रह-रहकर जहरीली शराब के कहर ढाने के समाचार आते ही रहते हैं।

चूंकि मरने वाले लोग निर्धन तबके के अधिक होते हैं इसलिए तात्कालिक तौर पर दिखाई जाने वाली सजगता का जल्द ही लोप हो जाता है और सब कुछ पहले की तरह चलने लगता है। जहरीली शराब के कारोबार के मामले में इसी कामचलाऊ रवैये के कारण यह धंधा लगातार फलता-फूलता रहता है। पंजाब में तो यह धंधा एक तरह के कुटीर उद्योग में तब्दील हुआ दिख रहा। कई इलाकों में घर-घर अवैध शराब बन रही थी और उसकी खपत ढाबों में हो रही थी।

पंजाब में अवैध शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले घातक रसायनों की आपूर्ति का भी एक मजबूत नेटवर्क नजर आ रहा है। क्या यह संभव है कि इस सबके बारे में पंजाब के शासन-प्रशासन को कहीं कोई भनक न हो? बिना संरक्षण के इस तरह के धंधे चल ही नहीं सकते। अवैध शराब बनाने वालों पर कहीं कोई लगाम नहीं थी, इसका पता उन तत्वों की गिरफ्तारी से भी चल रहा है जिन पर अवैध शराब बनाने या फिर बेचने के मामले पहले से चल रहे थे। इसका मतलब है कि ऐसे तत्व कठोर कार्रवाई के अभाव में मौत बांटने का धंधा करने में लगे हुए थे और कोई देखने-सुनने वाला नहीं था।

यह पहली बार नहीं है जब पंजाब में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में मौतों के मामले सामने आए हों। ऐसा पहले भी हो चुका है, लेकिन शायद कहीं कोई सबक नहीं सीखा गया। इससे खराब बात और कोई नहीं हो सकती कि नशे के कारोबार के लिए चर्चा में रहा पंजाब अब अवैध शराब के धंधे को लेकर सुर्खियों में है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस दावे के साथ सत्ता संभाली थी कि वह चंद दिनों के अंदर नशे के कारोबार को खत्म कर देंगे। यह विडंबना ही है कि ऐसा कुछ होने के बजाय यह सामने आ रहा कि राज्य में जानलेवा अवैध शराब का कारोबार बेलगाम हो गया है।