यह अच्छा हुआ कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न तो कश्मीर का जिक्र करना जरूरी समझा और न ही सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम लेना, लेकिन उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत को रेखांकित कर परोक्ष तौर पर यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह आतंक के निर्यातक इस पड़ोसी देश की घेराबंदी करना जारी रखेंगे। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की गंभीरता और आक्रोश को व्यक्त करने के साथ ही विश्व समुदाय को इसके लिए आगाह भी किया कि उसका बिखराव उस खतरे को बढ़ाने का ही काम करेगा, जो मानवता के साथ-साथ उन सिद्धांतों के लिए भी चुनौती बन गया है जिनकी रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र का गठन किया गया।

भारतीय प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के साथ ही दूसरी सबसे बड़ी चुनौती बिगड़ते पर्यावरण की ओर दुनिया का न केवल ध्यान खींचा, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से मिलकर निपटने की आवश्यकता पर भी बल दिया। इस सिलसिले में उन्होंने वैश्विक सहयोग की एक रूप रेखा भी खींची। यह ठीक वैसी ही पहल है जैसी भारत के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के रूप में सामने आ चुकी है। इसके जरिये भारत ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के मामले में दुनिया के सामने जो उदाहरण पेश किया है उसकी कोई अनदेखी नहीं कर सकता।

भारतीय प्रधानमंत्री ने भारतीय लोकतंत्र की महिमा का बखान करते हुए आम आदमी की जिंदगी को बदलने वाली अपनी कई सफल योजनाओं का केवल जिक्र भर नहीं किया, बल्कि यह भी बताया कि भारत निर्धनता का मुकाबला करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है और इस संदर्भ में वह दुनिया से सीख लेने और साथ ही उसे दिशा दिखाने के लिए भी तत्पर है। उन्होंने विश्व में शांति एवं सद्भाव की जरूरत पर जोर देते हुए जिस तरह यह कहा कि हम उस देश के वासी हैैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए उससे यही रेखांकित हुआ कि वह संयुक्त राष्ट्र के मंच का उपयोग विश्व राजनेता के रूप में कर रहे थे। वास्तव में यही समय की मांग भी थी।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के सालाना अधिवेशन में भारतीय प्रधानमंत्री के संबोधन से यही स्पष्ट हुआ कि भारत अपनी वैश्विक भूमिका बढ़ाने के लिए न केवल तत्पर है, बल्कि हर चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार भी है। यह देखना दयनीय रहा कि जिस मंच से भारतीय प्रधानमंत्री ने सारी दुनिया के हितों की चिंता की तब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अपना पुराना राग अलापते नजर आए। ऐसा करके उन्होंने एक बार फिर दुनिया को अपनी संकीर्ण सोच से ही परिचित कराया।