फ्रांस के बायरिट्ज शहर में भारतीय प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति के समक्ष जिस तरह दो टूक ढंग से कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच के सारे मसले द्विपक्षीय हैं और इसीलिए हम किसी तीसरे देश को कष्ट नहीं देना चाहते उससे ट्रंप प्रशासन को यह पता चल जाना चाहिए कि आज के भारत को कश्मीर या फिर किसी अन्य मसले पर झुकाया नहीं जा सकता।

अमेरिकी राष्ट्रपति के समक्ष खरी बात करने की जरूरत इसलिए थी, क्योंकि हाल में उनकी ओर से दो-तीन बार यह कहा जा चुका है कि वह कश्मीर पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं। उनके ऐसे बयानों से ही पाकिस्तान अपनी पीठ ठोकने में लगा हुआ था। 

अब उसे भी यह अहसास हो जाए तो बेहतर कि अमेरिका या फिर चीन का सहारा लेकर वह भारत को आंखें नहीं दिखा सकता। यह उल्लेखनीय है कि इसके पहले भारत ने चीन के समक्ष भी यह साफ कर दिया था कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से न तो पाकिस्तान से लगती सीमा में कोई बदलाव हुआ है और न ही चीनी सीमा में।

यह अच्छा हुआ कि भारतीय प्रधानमंत्री की खरी बात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति भी यह कहने को बाध्य हुए कि उन्हें उम्मीद है कि भारत और पाकिस्तान मिलकर समस्याओं को सुलझा लेंगे, लेकिन भारत सरकार को केवल इतने से ही संतोष नहीं करना चाहिए। चूंकि अमेरिकी राष्ट्रपति किसी भी मसले पर कुछ भी कहने और यहां तक कि अपनी ही बातों से मुकर जाने में माहिर हैं इसलिए भारत को चाहिए कि वह अमेरिकी विदेश विभाग से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा वक्तव्य को आधिकारिक रूप देने की मांग करे।

यह आवश्यक है कि भारत सभी आवश्यक मंचों पर यह भी स्पष्ट करे कि वह कश्मीर पर मध्यस्थता का राग सुनने को इसलिए नहीं तैयार, क्योंकि यह उसका अपना आंतरिक मामला है और अगर पाकिस्तान से कोई बात होती है तो वह उसके कब्जे वाले भारतीय भूभाग को लेकर ही होगी।

यह सही समय है कि भारत इस बात को भी पूरी दृढ़ता के साथ रेखांकित करे कि पाकिस्तान या फिर अन्य किसी देश को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि भारत जम्मू-कश्मीर या फिर लद्दाख को लेकर किसी से वार्ता करने को राजी हो सकता है।

वास्तव में ऐसा करने पर ही दुनिया को यह संदेश जाएगा कि कश्मीर का असल विवाद तो पाकिस्तान के कब्जे वाले उस भारतीय भूभाग को लेकर है जिसे पाकिस्तान ने हथिया रखा है। देश के राजनीतिक एवं बौद्धिक वर्ग को भी यह समझने की जरूरत है कि कश्मीर को लेकर रक्षात्मक रवैया अपनाने के कारण ही पाकिस्तान दुनिया में भ्रम फैलाने में कामयाब रहा।

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