चंद रुपये के लिए लोग कितने गिर जाते हैं कि वे जिंदगी के साथ खेलने से भी परहेज नहीं करते। होटलों व रेस्तरांओं में खाने-पीने के शौकीन लोगों के लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं है, क्योंकि पिछले सप्ताह कोलकाता व आसपास के होटलों और रेस्तरांओं में कचरे में फेंके गए मृत जानवरों के मांस की आपूर्ति करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब मृत मुर्गियों के मांस की बिक्री की खबरें आ रही थीं। क्या मृत जानवरों के मांस की रेस्तरां व होटलों में आपूर्ति कर लोगों की जिंदगी से नहीं खेला जा रहा था? चार दिन पहले लोगों ने गिरोह के दो सदस्यों को पकड़ लिया। न जाने किन-किन होटलों व रेस्तरांओं में वे मृत जानवरों के मांस को पहुंचा चुके होंगे और लोगों ने उसे खाया भी होगा। कहीं मृत कुत्ते के मांस की भी तो आपूर्ति नहीं की गई? ऐसे कई सवाल हैं, जो इस घटना के बाद उठ रहे हैं। असल में इस गिरोह का संचालन दक्षिण 24 परगना जिले से हो रहा था, जिसके चार सदस्य थे। उनमें से एक बजबज नगरपालिका का कर्मचारी है।

यानी नगरपालिका के उक्त कर्मचारी को पता था कि अमुक इलाके में जानवर मरा है और उसे अमुक स्थान पर फेंका गया है। बजबज क्षेत्र के निवासी पिछले कुछ दिनों से यह नोटिस कर रहे थे कि क्षेत्र में मवेशियों और अन्य जानवरों के शव को फेंकने के लिए जो स्थान बनाया गया है, वहां पर जानवरों के शव फेंकते ही अगले दिन वे गायब हो जा रहे थे। इस बात को गंभीरता से लेते हुए स्थानीय लोगों ने निगरानी शुरू कर दी। जब आरोपित व्यक्ति मृत जानवरों के मांस को टैक्सी में भरकर ले जाने की कोशिश कर रहा था, तभी स्थानीय लोगों ने उन्हें पकड़ लिया। इस बीच बजबज नगरपालिका के एक अधिकारी ने कहा कि इस घटना की किसी ने शिकायत नहीं की है लेकिन मामले की जांच की जा रही है। वहीं कोलकाता नगर निगम ने बाजारों, होटलों व रेस्तरांओं से मांस के नमूने एकत्रित कर मामले की जांच शुरू की है। पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर वे लोग उक्त मांस की आपूर्ति कहां करते थे। वही मृत जानवरों को नष्ट करने के लिए नगर निकाय विभाग की ओर से भी निर्देश जारी किए गए हैं। अगर पहले ही ठोस कदम उठाया गया होता तो क्या ऐसा होता?

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]