संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण को शुरू हुए चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन दोनों सदनों में हंगामे और नारेबाजी के अतिरिक्त और कुछ नहीं हुआ है। जहां सत्तापक्ष संसद में अपनी इस मांग पर जोर दे रहा है कि राहुल गांधी ने अपनी लंदन यात्रा के दौरान भारतीय लोकतंत्र के बारे में जो कुछ कहा, उसके लिए उन्हें क्षमा याचना करनी चाहिए, वहीं कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल अदाणी मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी से कराने पर अड़े हुए हैं और संसद नहीं चलने दे रहे हैं।

स्पष्ट है कि यदि दोनों पक्ष अपने-अपने रवैये पर अडिग रहते हैं तो संसद का चलना मुश्किल ही होगा। यदि ऐसा होता है तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा। ऐसी भी परिस्थिति आ सकती है कि बजट को बिना बहस के पारित कराना पड़े। यह ठीक नहीं होगा, लेकिन संसद तभी चल सकती है, जब दोनों पक्ष अपना-अपना हठ छोड़ेंगे। फिलहाल इसके आसार नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि यह तय है कि राहुल गांधी लंदन में दिए गए अपने बयान को लेकर माफी नहीं मांगने वाले। एक ओर जहां मल्लिकार्जुन खरगे यह साफ कर चुके हैं कि राहुल गांधी माफी नहीं मांगने वाले, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के अन्य नेता भी यह सिद्ध करने में लगे हुए हैं कि उनके नेता ने लंदन में वैसा कुछ कहा ही नहीं, जैसा बताया जा रहा है।

जैसे इसके आसार नहीं कि राहुल गांधी माफी मांगेंगे, वैसे ही इसके भी नहीं कि मोदी सरकार अदाणी मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की विपक्ष की मांग मानने के लिए तैयार हो जाएगी। इसका एक कारण तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही छह सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा कर चुका है और दूसरा यह कि वित्तीय मामलों में अब तक गठित संयुक्त संसदीय समितियों ने जांच के नाम पर या तो लीपापोती की है या फिर दलगत राजनीति।

इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अदाणी मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की विपक्ष की मांग का मुख्य उद्देश्य इस मामले को अगले आम चुनाव तक जिंदा रखना है। चूंकि सरकार विपक्ष के इस इरादे को भांप चुकी है, इसलिए वह उसकी मांग पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं। संसद के इस सत्र में केवल बजट पर ही बहस नहीं होनी है, बल्कि कम से कम तीन दर्जन विधेयक भी पारित होने हैं। इनमें से कई अत्यंत महत्वपूर्ण विधेयक हैं। यदि सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जारी गतिरोध के चलते प्रस्तावित विधेयक पारित नहीं हो पाते तो यह एक तरह से राष्ट्र की राह रोकने वाला काम होगा। उचित यह होगा कि सत्तापक्ष और विपक्ष यह समझें कि संसद में गतिरोध की स्थिति पैदाकर वे जनता को निराश करने का ही काम कर रहे हैं।

Edited By: Praveen Prasad Singh