लाहौर हाईकोर्ट ने आतंकी सरगना हाफिज सईद को रिहा करने के आदेश देकर इस धारणा पर ही मुहर लगाने का काम किया है कि पाकिस्तान की आतंकवाद से लड़ने की कहीं कोई इच्छा नहीं। वह एक ओर खुद को आतंकवाद से पीड़ित एवं परेशान बताता है और दूसरी ओर हाफिज सईद सरीखे आतंकी सरगनाओं को पालने-पोसने का काम भी करता है। पाकिस्तान दुनिया के उन चंद देशों में है जिन्होंने किस्म-किस्म के आतंकी संगठनों को संरक्षण देने को अपनी नीति का एक हिस्सा बना लिया है। इसी नीति के तहत पाकिस्तान में हक्कानी नेटवर्क के सरगना के साथ मसूद अजहर और दाऊद इब्राहीम जैसे आतंकी तत्व न केवल फलते-फूलते हैैं, बल्कि सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ का समर्थन भी पाते हैैं। आतंकी संगठनों को पालने-पोसने से पाकिस्तान के दो हित सधते हैैं: एक तो उसे अपनी जिहादी सेना पर लगने वाले हर आरोप को खारिज करने में आसानी होती है और दूसरे, पड़ोसी देशों को तंग करने में ज्यादा संसाधन भी नहीं खर्च करने पड़ते। यह लगभग तय है कि पाकिस्तान तब तक ऐसा करता रहेगा जब तक उसे आतंकी सरगनाओं को पालने-पोसने की कोई भारी कीमत नहीं चुकानी पड़ती। भारत और अफगानिस्तान के साथ-साथ अमेरिका को खास तौर पर यह समझना होगा कि पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ने के नाम पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आंखों में धूल झोंक रहा है। हाफिज सईद ज्यादा समय तक नजरबंद नहीं रह सकेगा, यह उसी दिन स्पष्ट हो गया था जिस दिन उसकी नजरबंदी का फैसला हुआ था। वह इसके पहले भी नजरबंद और रिहा हो चुका है तो इसीलिए कि पाकिस्तान सरकार उसके खिलाफ सुबूत जुटाने के लिए तैयार नहीं। हाफिज सईद के साथ ही पाकिस्तान के पास मसूद अजहर के खिलाफ भी कोई सुबूत नहीं, जबकि यह वही आतंकी है जो भारतीय विमान के बंधक यात्रियों की रिहाई के बदले छोड़ा गया था।
हाफिज सईद की एक ऐसे समय रिहाई होने जा रही है जब मुंबई हमले की बरसी करीब आ रही है। पाकिस्तान ने एक तरह से भारत के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। उसने यह भी नए सिरे से याद दिलाया है कि वह मुंबई के गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई न करने पर आमादा है। मुंबई में भीषण आतंकी हमले के नौ साल बाद भी यदि इस हमले की साजिश रचने वाले पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैैं तो पाकिस्तानी सरकार, सेना और आइएसआइ की ढिठाई के कारण। हैरानी यह है कि इस ढिठाई पर अमेरिका, ब्रिटेन सरीखे देश दिखावटी चिंता ही अधिक प्रकट करते हैैं और वह भी तब जब मुंबई हमले में उनके भी नागरिक मारे गए थे। कहना कठिन है कि हाफिज सईद पर इनाम रखने वाला अमेरिका उसकी रिहाई के आदेश पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करता है, लेकिन भारत को सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि उसे खुला छोड़ने के पीछे पाकिस्तान का एक इरादा कश्मीर में आतंकवाद को नए सिरे से भड़काना हो सकता है। यह ठीक है कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से आए आतंकियों को चुन-चुनकर मारा जा रहा है, लेकिन पाकिस्तान की सेहत पर फर्क तो तब पड़ेगा जब उसे आतंकियों को भारत भेजने के दुष्परिणाम भोगने पड़ेंगे।

[ मुख्य संपादकीय ]