पाकिस्तान का नया झांसा1कम से कम भारत को इससे तनिक भी प्रभावित नहीं होना चाहिए कि पाकिस्तान ने मुंबई में आतंकी हमले की साजिश रचने और जेहाद के नाम पर आतंकियों की फौज खड़ी करने वाले आतंकी सरगना हाफिज सईद पर पाबंदी लगाने का फैसला किया है। पाकिस्तान ने नए-नए नाम से आतंकी संगठन चलाने वाले हाफिज सईद पर पाबंदी लगाने अथवा उसके खिलाफ कार्रवाई करने का दिखावा पहले भी कई बार किया है। हर बार यह आतंकी सरगना कुछ दिनों या महीनों के भीतर फिर से खुले आम घूमने और भारत के खिलाफ जहर उगलने में सक्षम हुआ है। यह तय मानकर चला जाना चाहिए कि पाकिस्तानी सेना और सरकार की कृपा से वह आगे भी ऐसा करने में समर्थ होगा। हाफिज सईद पर एक और बार कथित पाबंदी लगाने की पहल करके पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ भारत और दुनिया के अन्य देशों की आंखों में धूल झोंकने का ही काम किया है। इसका एक बड़ा सबूत यह है कि अभी पिछले माह ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री पूरी बेशर्मी के साथ यह फरमा रहे थे कि हाफिज सईद साहब के खिलाफ तो कोई मामला ही नहीं है। इसके पहले यह कहा गया था कि उसके खिलाफ तो कोई प्रमाण ही नहीं है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान ने एक तरह से छिपते-छिपाते हुए हाफिज सईद और उसके संगठनों पर पाबंदी लगाने की पहल महज इसलिए की है ताकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष शर्मसार होने से बच सके। सुरक्षा परिषद की उस समिति की बैठक अगले कुछ दिनों में होनी है जिस पर यह देखने की जिम्मेदारी है कि संबंधित देशों ने संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में शामिल आतंकी संगठनों के वित्तीय स्रोतों पर लगाम लगाई या नहीं? 1चूंकि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ उन्माद से भरे हुए हाफिज सईद और आतंकी पैदा करने वाले उसके संगठनों के खिलाफ कुछ किया ही नहीं इसलिए वह इससे चिंतित था कि कहीं उसे सुरक्षा परिषद की पाबंदियों का सामना न करना पड़े।

पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने हाफिज सईद को आतंकी घोषित करने वाले अध्यादेश पर हस्ताक्षर इसलिए कदापि नहीं किए कि पाकिस्तानी शासन इस आतंकी सरगना पर लगाम लगाना चाहता है। उसका एक मात्र मकसद तो विश्व समुदाय को झांसा देना है। इसके भरे-पूरे आसार हैं कि यह अध्यादेश कानून का रूप नहीं लेगा। अगर पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में तनिक भी ईमानदार होता तो वह आतंकी संगठन जैशे-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ भी कोई कदम उठाता। उसने ऐसा नहीं किया और इसका सीधा मतलब है कि वह उसे संरक्षित रखते हुए उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ जारी रखेगा। भारत सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान ने बीते एक दशक से अपने यहां पल रहे उन आतंकी संगठनों के खिलाफ कुछ भी नहीं किया है जो भारत के लिए खतरा बने हुए हैं। वह करेगा भी नहीं, क्योंकि पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी ने इन आतंकी संगठनों को अपना रणनीतिक हथियार बना रखा है। अमेरिका ने दशकों तक यह सब देखने से इन्कार किया। नतीजा यह हुआ कि उसे पाकिस्तान से धोखे के अलावा और कुछ नहीं मिला।

[ मुख्य संपादकीय ]