दिल्ली की सड़कों पर संगठित व असंगठित गिरोह सक्रिय हैं जो लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। पिछले कई वर्षो से चालकों का ध्यान बटाकर वाहन में रखे सामान पर हाथ साफ करने वाले ठक-ठक गिरोह का आतंक भी यहां लगातार बढ़ रहा है। इस गिरोह के सदस्य चंद मिनटों में कार का शीशा तोड़कर, टायर पंक्चर कर अथवा किसी अन्य बहाने कार में रखे नकदी व कीमती सामान से भरा बैग लेकर फरार हो जाते हैं। जिस तरह से इनका आतंक बढ़ रहा है उससे स्पष्ट है कि दिल्ली पुलिस इस अपराध को लेकर गंभीर नहीं है। पुलिस की इस उदासीनता का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। उनकी मेहनत की कमाई चंद मिनटों में कोई लेकर उड़ जा रहा है। इससे जहां लोगों में अपनी जान माल को लेकर असुरक्षा की भावना बढ़ रही है वहीं देश की राजधानी दिल्ली की बदनामी भी हो रही है। इसलिए पुलिस को इसे गंभीरता से लेना होगा।

सबसे गंभीर बात यह है कि राजधानी की सड़कों पर इस तरह के अपराध पिछले कई वर्षो से होने के बावजूद इसे रोकने के लिए पुलिस ने कोई ठोस योजना नहीं बनाई। कार्रवाई के नाम पर कभी कभार एक दो आरोपियों को पकड़ लिया जाता है, लेकिन इसे अंजाम देने वाले पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। इसके पीछे एक तर्क यह दिया जाता है कि वारदात के बाद वे दिल्ली-एनसीआर छोड़ देते हैं। जिससे इन्हें पकड़ने में मुश्किल होती है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने रविवार को ठक-ठक गिरोह के मुखिया को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया है। बताते हैं कि पश्चिम बंगाल, दिल्ली सहित कई राज्यों में इसका जाल फैला हुआ है।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]