अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर मध्यस्थता करने की जो इच्छा प्रकट की वह अप्रत्याशित तो है, लेकिन उनके स्वभाव को देखते हुए इस पर हैरान नहीं हुआ जा सकता। इसके पहले वह कश्मीर को लेकर बार-बार मध्यस्थता की पेशकश करते रहे। भारत के दो टूक इन्कार के बाद उन्होंने अपना सुर बदला और यह कहना शुरू किया कि जब दोनों देश चाहेंगे तभी मध्यस्थता संभव है। चीन के साथ सीमा विवाद पर मध्यस्थता की उनकी पेशकश पर भारत की प्रतिक्रिया जिस भी रूप में हो, इसके प्रति सुनिश्चित हुआ जा सकता है कि चीनी प्रशासन आपे से बाहर होगा। यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने मध्यस्थता की पेशकश करके चीन को नए सिरे से घेरने और साथ ही विश्व समुदाय को यह बताने की कोशिश की है कि इस देश पर लगाम कसने की जरूरत है।

बेहतर होता वह मध्यस्थता की पेशकश करने के बजाय चीन को सीधी लताड़ लगाते, क्योंकि वह भारत के साथ-साथ अपने अन्य पड़ोसी देशों को भी तंग करता रहता है। एक ऐसे समय जब उसकी धरती पर पनपे कोरोना वायरस ने दुनिया का बेड़ा गर्क कर दिया है तब वह विश्व समुदाय से माफी मांगने के बजाय जिस तरह पड़ोसी देशों को परेशान करने के साथ हांगकांग में मनमानी करने में लगा हुआ है उससे यही स्पष्ट होता है कि चीनी नेतृत्व दुनिया की शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गया है।

चीन कभी दक्षिण चीन सागर में अपना प्रभुत्व जमाने की बेजा कोशिश करता है तो कभी ताइवान को धमकाता है। इतना ही नहीं, वह दुनिया के सबसे गैर जिम्मेदार देशों-पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को अनुचित संरक्षण देने का भी कोई मौका नहीं छोड़ता। यह साफ है कि वह भारत की सीमाओं पर इसीलिए छेड़छाड़ करने में लगा हुआ है ताकि दुनिया का ध्यान बंटाया जा सके और विश्व समुदाय इस पर चर्चा न कर सके कि आखिर कोरोना वायरस किसी जंगली जंतु से मानव शरीर में आया या फिर वुहान की जैविक प्रयोगशाला से? वह इस प्रयोगशाला के बारे में पूरी जानकारी देने के बजाय कोरोना वायरस जैसे कई अन्य वायरस फैलने की आशंका जताने में लगा हुआ है। यह अच्छा है कि अमेरिका चीन की गैर जिम्मेदाराना हरकतों का संज्ञान लेने के साथ उसे कठघरे में भी खड़ा कर रहा है, लेकिन उसे सफलता तब मिलेगी जब वह चीन से खफा विश्व समुदाय को भी अपने साथ लेगा। उचित होता कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के साथ खड़े होने की कोशिश में मध्यस्थता की पेशकश करने के बजाय चीन से यह कहते कि वह अपनी बेजा हरकतों से बाज आए।